“” अंतर्मन का कठिनाइयों से नहीं अपितु अपनी कमियों से द्वंद ही होता है “”
मानस के अंतर्मन में अब द्वंद शुरू हो चुकी है ,
मानो अब निर्बल और बलवान के बीच अंजाम ऐ जंग शुरू हो चुकी है ;
मुझे अडिग हौंसले के साथ खड़ा देख,
मदमस्त तूफान की स्थिति और भी भयावह हो चुकी है ;
मानो उसकी ज़िद ,
इस पहाड़ को उखाड़ फैंकने की अब ठन चुकी है ;
जलजले में नौका पार करना,
अब माँझी की आन पर बन पड़ी है ;
इस जनून से भी दो – दो हाथ करने ,
किस्मत पहले से ही दोहरी चाल चल चुकी है ;
बाँध कफ़न सिर पर दरिया पार करने में अब,
जान की बाज़ी भी लग चुकी है ;
इस लग्न को देख उफ़नती नदी भी,
आगोश में ली कश्ती से अब “” दुलार “” करने जो लगी है ।
सन्देश –
“” कौन कहता है हौंसलों में जान नहीं होती है,
भरोसा नहीं तो मेहनत से मिलकर देख;
सफलता जब मंजिल पाने का रास्ता याद करवाती है ,
तो फिर मील के पत्थर में “” हौंसले के साथ मेहनत “” का नाम भी कुरेदा दिखलाती है। “”
मानस जिले सिंह
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन को मूलभूत आवश्यकताओं में कानूनी वैधता दिलवाने में निरन्तर व निर्बाध प्रयासरत रहना।
बहुत बढ़िया
thanks
Thaka hara fone hath me liya manas ka chapter khola kuch lines पढी too sir himat बढ़ gayi kya baat kahi hai sir
so sweet comments
बहुत बढ़िया रचना
thanks
मन मे जुनून है अगर
तो
अन्तर्मन के द्वन्द की क्या औकात ……..
Nice Thoughts🙏
Really Right & True Suggestion.
Nice 🙂🙂🙂🙂
Nice
Nice 🙂🙂🙂🙂
Nice ♥️❤️♥️