Monday, March 20, 2023

“” जनून “” या फिर “” ईश्वर की इबादत “”

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“” जनून “” या फिर “” ईश्वर की इबादत “”

हसरत मान जिसे,
अपनी मंजिल बनाया ;

पहली सीढ़ी पर जो,
इस क़दर लड़खड़ाया ;

फिर सामने रास्ता,
मुश्किलों भरा पाया ;

मंजिल भी कोसों दूर,
अब नजर आयी ;

हौसलों भरी आवाज़,
फिर अंदर से पायी ;

मंजिल के पाने का तरीका,
आखिर अंतर्मन ने ही सुझाया ;

फिर टुकड़ों में बाँट,
मंजिल को पाना सिखलाया ;

विश्वास ने बार बार मुझसे,
युक्तिबद्ध अभ्यास करवाया ;

अब आखिर लक्ष्य मुझे,
बहुत आसान नजर आया ;

पा लूँगा मंजिल कह हमने,
जो हसरत को जनून बनाया ;

जो पायी हमने मंजिल तो,
जनून में ही भगवान नज़र आया ;

जनून होता है “” ईश्वर की इबादत “” ,
इस कसरत से मानस मैं ये ही अब समझ पाया ।

मानस जिले सिंह [ Realistic Thinker ]
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – धार्मिक आडम्बर व पाखण्ड को मानवीय जीवन शैली से बाहर निकलवाने के लिए प्रयत्नशील रहना।

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Garima Singh
Garima Singh
11 months ago

Nice

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

बहुत सुन्दर

Mahesh Soni
Mahesh Soni
11 months ago

बोलकर तो सब समझाते है।

कभी अपनी खामोशी से भी समझाकर देखो।

क्या पता, जिन्ही शोर की आवाज सुनाई नही देती, शायद उन्हें मौन की आवाज सुनाई दे। 

~ महेश सोनी

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Nice 🙂

Mahesh Soni
Member
11 months ago

हार तू चाहे जितना हरा दे मुझे!

मैं तब तक हारना पसंद करूँगा,

जब तक कि मैं जीत ना जाऊ।

Shashi singh
Shashi singh
11 months ago

बहुत खूब 👌🏻👌🏻

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