“” क्षमता और मायाजाल घोर प्रतिद्वंद्वी “”
परेशानियों को भी कह दो अपनी औकात में ही रहे ,
हमने तो कभी घोर संकटों को भी अपने ऊपर हावी न होने दिया ;
उलझी पहेलियाँ में समस्या भी आई हमसे मिलने कई बार ,
अनसुलझी ना रही हमारी सूझ बूझ के आगे खत्म हुआ उनका भी इंतजार ;
घमण्ड भी सिर चढ़कर भटकाने लगा रास्ता अनेकों बार ,
हमारी विनम्रता व शालीनता के आगे बार बार हुआ वह भी शर्मसार ;
नाउम्मीदी भी आयी रास्ता भूल हमारी चौखट पर कई बार,
जनून की कड़ी लगे, आत्मविश्वास के दरवाजे से ही लौट जाना हर बार ;
भ्रम के मायाजाल में लिप्त असफलता भी आयी टकराने जो आखिर में ,
बुलंद हौंसले के साथ हुनर की तजबीज ने पटखनी हमने फिर दी उसे बारम्बार ;
क्योंकि हमें कंधे पर जिंदगी ढोहने में नहीं,
जिंदादिली से जिंदगी को जीने का रहा है सरूर ;
क्योंकि मानस पंथ के “” प्रकृति की सेवा ,सरंक्षण व स्नेह “” मन्त्र से था हमारा हौंसला जो भरपूर ;
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – प्रेम की अभिव्यक्ति का आधार विश्वास , समर्पण व सहयोग बने इसके लिए प्रयासरत रहना।
हर किसी के जीवन में कोई न कोई परेशानी जरूर है पर उसका निवारण भी है तो फिर चिंता किस बात की,
और अगर परेशानी नहीं है तो फिर चिंता किस बात की।
हौसलों से भरपूर हो जिन्दगी😊😊😊
nice view on real ground
आपके विचार पढ़ कर तो नई ऊर्जा भर जाने का अहसास हो रहा है । बिल्कुल आज के दौर की असल जिंदगी की हकीकत का कच्चा चिट्ठा खुल रहा है ऐसा लग रहा है ।
Really such a nice views
“परेशानियों को भी कह दो…
शानदार लेखन
गूगल पेज पर टॉप पर आने की हार्दिक शुभकामनाएं
Thanks A lot my dear
Nice 🥰😍🤩