Saturday, March 25, 2023

तुष्टिकरण शैली या विध्वंसक कुकृत्य

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— राजनेताओं की बढ़ती नकारात्मक, अलगाव व तुष्टिकरण शैली या फिर येन केन से सत्ता हथियाने हेतु विध्वंसक कुकृत्य —

सेवा व समर्पण की शपथ ले चले थे जो चिराग बनने ,
वो आज नियमों को रौंदने में अपनी शान समझने लगे हैं ;

जिनकी जिम्मेदारी थी घर घर ख़ुशियाँ पहुंचाने की इस समाज में,
मदमस्त हो घमण्ड रूपी हाथी पर चढ़ उन्माद फैलाने में भी लगे हैं ;

एक जनून ही चाहिए था बस,
इस संसार को रोशन करने के वास्ते;

नेता जी पर सनक चढ़ा इस कदर भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण व लालफीताशाही का,
तो बेशर्मी में सामाजिक धनसम्पत्ति को निजी बनवाने में लगें हैं ;

गलती मासूमों कि न थी जो भरोसा कर गये उनके ज़मीर पर,
उम्मीद न करते तो कहाँ जाते, पर यह सोच सोच के वो अब पछताने भी लगें हैं ;

मक्कारी व छद्मनीति भी आज उनके शौक का हिस्सा देखने को बन गई ,
जब खैरख्वाह के भेष में भेड़िया का काम भी वो इत्मीनान से ही करने में लगे हैं ;

“” जब सिर्फ धर्म से हो इंसान की पहचान ,
तो यह सोच धरती से सबके ही वजूद को मिटा देगी ;

अब हाले दिल किसको बयाँ करूँ,
जब हर धड़कन में राजनीति धर्म व जातिगत ज़हर भरने में जो लगी है ;

खुली हवा भी दम घुटाने लगी है,
आसमां भी अब कैद सा करने लगा है; “”

क्योंकि ये अविश्वास, अलगाव व वैर पैदा करते राजनेता के चोले में “” रंगे सियार “”,
आज मानवता को सरे आम तार तार तो कभी इंसान के वजूद को ही नास्तेनाबूत करने की होड़ भी करने लगें हैं।

मानस जिले सिंह [ Realistic Thinker ]
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – धार्मिक सौहार्द बनाते हुए सामाजिक सहयोग व प्रेम का संचार कायम रखने की कवायद।

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ONKAR MAL Pareek
Member
11 months ago

महोदय जैसा की सैंकड़ों हजारों वर्षों आदि अनादि काल से होता आया है की जिसके पास सत्ता होती है या शासनाधिकार होता है वो अपनी वास्तविकता भूल जाता है आम आदमी का मर्म भूल जाता है अपने वास्तविक कर्तव्य को भूल कर सुख और ऐश्वर्य जीवन जीने को ही अपना असली लक्ष्य समझने लगता है । उसे आम जनता जो उसकी तरफ एक आशातीत नजरो से देखती है कीड़े मकोड़े लगती है । आज जरूरत है तो राजनीति से ये कीचड़ साफ करने की जो हम सबको मिलकर करना ही होगा ।

Last edited 11 months ago by ONKAR MAL Pareek
Mahesh Soni
Member
11 months ago

नकल कर लो भले ही तुम हमारे काम की,
पर अकल हमारी हमारे पास।
आओगे तुम इक दिन,
जब बनवाना तुम्हें कुछ खास है।
यही हमारी पहचान है, यही हमारा राज है।
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