Saturday, March 25, 2023

दर्द मेरा सच्चा साथी या भ्रम

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“” दर्द मेरा सच्चा साथी या भ्रम “”

दुख “” स्थिति वास्तविक “” और सुख “” एक मृगमरीचिका “”

ऐ दर्द तुझसे रिश्ता मेरा कुछ अजीब सा हो गया है ,
जैसे फूल पर मंडराते भँवरे व आँख में आँसू का सा हो गया है ;

तू कभी आंखमिचौली कर आँखों से जो कभी ओझल होता है ,
पता नहीं क्यों लौ पर पतंगे की तरह मुझे और तेजी से खींच लाता है;

तुम्हारे बगैर जीने की खुमारी में कई कोशिशें हमने जब की हैं ,
हंसी भी खुशी के साथ होंठों पर फिर से सजी है ;

प्यार ने भी जनूँ की कश्ती पर जन्नत की सैर करवाई है ,
चाँद सितारों से घर आँगन की रोशनी एक बार फिर सजी है ;

तेरे बिन जब कुछ खाली खाली सा लगा,
मानो मन्दिर तो है पर गंगाजल का कलश गायब ही मिला है ;

तुमसे जब कभी बेवफ़ा भी हुये हैं ,
घर ऑंगन में फूलों की बहार व दोस्तों की शुमारी से लबरेज भी हुये हैं ;

खुशियां बाहों में भी ना सिमट सकीं,
ऊपर से हर मन्नत भी पूरी हो चली है ,

जब भी रह रह तेरा खयाल आने जो लगा है,
उससे पहले बहाने से हर अपना भी मुझे छोड़ के जाने में लगा है ;

मेरी नजर में तेरी कीमत का अहसास तब और बढ़ जाता है ,
जब अपना दिल तोड़ और अपना समझ तुम्हारे पास छोड़ जाता है ;

दिल से कर्राह के चीख तो निकलती है,
बस तुम्हारे सहलाने से छोड़ के जाने का दर्द थोड़ा कम हो जाता है ;

तेरा इन परिस्थितियों में भी साथ देना हौंसला और बड़ा देता है ,
जब अपना कोई मुँह फेर के ठगा सा महसूस करवाता है ;

जिंदगी में बहुत लोग दोस्ती का दम्भ भरकर अपने को वफादार भी कहते हैं ,
पर जब कोई छोड़ गया था मुझे दरबदर तो न जाने क्यूँ तू ही सहारा देने घर की ड्योढ़ी पर खड़ा हर बार मिला है ;

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – शिक्षा , समानता व स्वावलंबन की विचारधारा को हर परिवारिक इकाई के नैतिक मूल्यों में स्थान दिलवाने में संघर्षरत रहना।

9 COMMENTS

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Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

बहुत खूब

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

कुछ ऐसे दर्द होते हैं जो जिंदगी भर बुलाए नहीं जा सकते,

पर बाकी सब भ्रम है………

सच्चे साथी तो हम खुद के हैं।

Real Thoughts🙏👌

Mohan Lal
Mohan
11 months ago

ओके रिपॉट है भाई जी आपने साथी हम खुद है बाकी कोई सहारा नही है जो करना है बो अपने आप को ही करना पड़ेगा

ONKAR MAL Pareek
Member
11 months ago

दर्द ही जीवन का सच्चा मित्र है । क्योंकि ये मनुष्य को वास्तविकता से रूबरू करवाता है और उसे इस झूठी चकाचौंध से दूर उसकी औकात या दूसरे शब्दो में कहें तो उसे अपने अस्तित्व से जोड़ता है । लेकिन अगर जीवन में दर्द न हो कोई मुश्किल ना हो तकलीफ ना हों तो फिर इन्सान को दर्द दुख और सुख में फर्क भी कैसे महसूस होगा । मेरी नजर में तो ये इस प्रकृति का बनाया हुआ बहुत ही मजेदार खेल मात्र है , जो हंसी खुशी इस खेल को मजे लेकर खेलता है वही जीवन को सरलता से जी सकता है अन्यथा यही कहता मिलेगा की मेरा जीवन तो दुखो से भरा पड़ा है । बाकी…….अपना अपना नजरिया है जनाब

Garima Singh
Garima Singh
11 months ago

Dard sach hai yatharth hai …

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