Saturday, March 25, 2023

युद्ध की विभीषिका / वर्चस्व की लड़ाई

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“” युद्ध की विभीषिका / वर्चस्व की लड़ाई “”

यूक्रेन और रूस के टकराव ने लिखी युद्ध की विभीषिका,
या अहम और वर्चस्व की लड़ाई,
या फिर स्वतंत्रता की ओढ़नी में अदूरदर्शिता का परिचय करवाता जेलेन्सकी का नेतृत्व |

दूसरे शब्दों में –
एक तरफ तानाशाही का परिचय करवाती Russian सरकार ,
या अपने अस्तित्व को बचाने में जुटा Donbass Region का जनसैलाब ,
या फिर मासूमियत के मुखोटे में खलनायक से रूबरू होता जेलेन्सकी का नेतृत्व |

साफ शब्दों में कहूं –
व्लादीमीर पुतिन एक तानाशाह ,
या जेलेन्सकी  एक अपरिपक्व , महत्वाकांक्षी खलनायक,
या फिर पश्चिमी यूरोपीय देशों द्वारा किया गया खूनी व महत्वाकांक्षी षड्यंत्र |

मेरी नजर में दुनिया को दिखाने का एक कारण –
एक सामूहिक नरसंहार और अर्थव्यवस्था के लिए विध्वंसक साबित होता है| यह इतिहास के पन्नों में पाकिस्तान और भारत के बीच टकराव से उत्पन्न बांग्लादेश की कहानी जैसा प्रतीत होता है|  पूर्वी पाकिस्तान शेख मुजीब के नेतृत्व में बांग्लादेश बना | इसमें भरपूर योगदान हमारी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था | अपनी सेना के सहयोग से आजाद करवाया था और उसको एक अलग देश की मान्यता प्रदान भी की थी|

क्या यह किसी देश की अखंडता व स्वायत्तता पर हमला नहीं था। यदि भाषा और संस्कृति के हिसाब से आपने मदद की वहाँ के मूल नागरिकों के स्वाधीनता संग्राम में । तो यही इतिहास को दोहराते हुए मदद ही कर रहा है रूस। जो अपने सोवियत संघ यूनियन के विघटन 1991 के पश्चात अलग हुए क्षेत्र एक अन्य देश यूक्रेन का हिस्सा बन गया । जिसे आज Donbass Region के नाम से जाना जाता है। रशिया ने Donetsk & Lohansk दो यूक्रेन के स्टेट को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दे दिया है।

इससे पहले 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र को भी रूस यह कहकर ही कब्जा किया कि यह उसकी सांस्कृतिक व भाषीय क्षेत्र ही है।

मेरी नजर में दुनिया को दिखाने का दूसरा कारण –
यूक्रेन का नाटो  संगठन की सदस्यता हासिल करने का प्रयास करना| जिससे  रूस को आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का खतरा नजर आता है| इससे पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ रूस तनाव बढ़ जाएगा | यह मेरी नजर में सिर्फ हास्यास्पद लगता है|

मेरी नजर में दुनिया को दिखाने का तीसरा कारण –
प्राकृतिक संसाधनों पर यूरोपीय देशों व रूस के बीच संघर्ष या कब्जे की लड़ाई|  जिससे वर्चस्व की लड़ाई भी कहा जा सकता  है|

मेरी नजर में  वास्तविक कारण –

    • संरक्षक बनने की होड़ के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रूप से डर की कीमत वसूलना |
    • हथियारों की बेतहाशा बिक्री में अपना अधिपत्य बनाए रखना |
    • राजनीतिक अस्थिरता का माहौल पैदा करने के साथ स्थायित्व हेतु कीमत की वसूली करना |
    • धार्मिक, सांस्कृतिक व क्षेत्रीयता कट्टरता का माहौल पैदा कर उगाही करना |
    • अमेरिका ,रूस, चीन व यूरोपीय देशों द्वारा आर्थिक महाशक्ति बनने की होड़ में अराजकता का माहौल पैदा करना |

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – कभी कभी महत्वपूर्ण राजनैतिक घटनाक्रमों पर निष्पक्ष राय से भी आपको अवगत करवाना ।

10 COMMENTS

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

क्या प्रीत क्या जीत,

दोनों दिल में वर्चस्व जगाते।

फिर सारी दुनिया छोड़,

अपने आप से ही लड़ाते।।

Shintu Mishra
शिंटू मिश्रा
11 months ago

जिसकी लाठी उसकी भैंस ।

Ashok
Ashok
11 months ago

Balanced and nice views

ONKAR MAL Pareek
Member
11 months ago

मैं आपके व्याख्यान से बिल्कुल सहमत हूं । युद्ध कभी भी कहीं भी हो इसमें जन मानस का नुकसान ही होता है । भुगतना सबको पड़ता है । पर किया क्या जाए ये तो वर्षो से बनी रीति है की बड़ी मछली हमेशा छोटी को खाती ही है । अब आप इसे वर्चस्व की लड़ाई का नाम दो या हथियार बेचने का हथकंडा ।

Mahesh Soni
Member
11 months ago

कभी तुम सफ़ेद टोपी-कुर्ता पहनते हो।

तो कभी भगवा कुर्ता और जनेऊ धारण करते हो।

ख़ुद को हम सब का धर्म गुरु बतलाते हो।

परन्तु पेशा तुम राजनीति का करते हो।

हम सबको संविधान का पाठ पढ़ाते हो।

और संसद में तुम उसी संविधान की धज्जिया उड़ाते हो।

हम सबको तुम ऐकता के नाम पर, अनेकता में बंटाने का काम करते हो।

तुम हमारे धर्म को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हो।

और खुद को खुदा से बड़ा राजनेता मानते हो।

ना मैं हिन्दू हूँ ना मुसलमान हूँ 

इस कविता के माध्यम अपनी बात बतलाने वाला एक हिंदुस्तानी हूँ मैं।

जय हिंद.. जय भारत..!

Declaration/Note: किसीभी धर्म या व्यक्ति विशेष की भावना को आहत करना मेरा उद्देश्य नही

महेश सोनी

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