Tuesday, March 21, 2023

A PAIN OF DOUBLE MENTALITY / कुंठित एवं दोगली मानसिकता

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A PAIN OF DOUBLE MENTALITY / कुंठित एवं दोगली मानसिकता

” कुंठित एवं दोगली मानसिकता ”

~ धनवान के साथ जानकारी मात्र को,
दोस्ती से अधिक बढ़ाकर बताना;
~ निर्धन की प्रेम एवं सच्ची मित्रता को,
नाम मात्र का परिचय दिखाना।
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~ नन्हे बच्चों का व्यवसायिक परिसर में कार्य को,
बालमजदूरी करके दिखाना,
~ वहीँ प्रतिभा प्रतियोगिता में प्रदर्शन को,
कलात्मक अभिरुचि ज़ाहिर करना।
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~ अपनी पत्नी के आँसू ,
उसका नाटक लगना;
~ किसी खूबसूरत महिला के आँसू,
उसकी अहसनीय पीड़ा महसूस करवाना;
~ अपने बच्चे का रुदन,
उसके दर्द का अहसास दिलाना;
~ किसी अन्य बच्चे का रोना,
उसकी उदण्डता दर्शाना;
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~ 1984 सिक्ख दंगों में हजारों लोगों के सुनियोजित नरसंहार में षडयंत्र के आरोपी थे,
उनको अपराधी कहा गया।
~ हजारों लोगों की हत्याकांड में आरोपी की किसी तरह की Police Interrogation व नार्को टेस्ट नहीं हुआ। सैंकड़ों आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं।

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परिणामस्वरूप ~

कश्मीर में हिन्दू पंडितों का 1990 के दशक में सामूहिक नरसंहार व पलायन हुआ। सरेआम बलात्कार , नृसंश हत्याओं के आरोपी खुलेआम कानून व लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं। राजनैतिक संरक्षण व वर्ग विशेष का सरंक्षण उनको ऐशोआराम की जिंदगी उपलब्ध करवाता है। ये सब लोग मानवता पर बदनुमा दाग हैं।

आज अपराधियों, गुंडागर्दी व आंतकियों के सम्मान व सरंक्षण ने स्वस्थ समाज में अराजकता, हिंसा का भयावह माहौल बना दिया है।

आज के दौर में पश्चिमी बंगाल में नँगा नाच सरेआम देखा जा रहा है। वहाँ की सरकार दहशत, तुष्टिकरण व सामाजिक विद्वेष की पर्याय बनी हुई है।

* मेरा एक सवाल जब एक सुनियोजित हत्याकांड में शामिल को दहशतगर्द, आतंकी कहा जा सकता हैं तो
1984 सिक्ख दंगों में हजारों लोगों की निर्ममतापूर्वक हत्या व कश्मीर में हिन्दू पंडितों का 1990 के दशक में सामूहिक नरसंहार व पलायन और आज हो रहे राजनैतिक विद्वेष की बलि चढ़ती जिंदगी के आरोपियों को【 सलंग्न राजनैतिक पार्टी पदाधिकारी 】को दहशतगर्द, आतंकी क्यों नहीं कहा जाता। *

“” मैं एक देश एक कानून की वकालत करता हूँ ।””
“” न्याय जाति, धर्म, सम्प्रदाय, लिंग और हैसियत के आधार पर नहीं,
अपितु दोष और अपराध की श्रेणी पर हो। “”

हमें अपनी कुंठित एवं दोगली मानसिकता का त्याग करना चाहिए। हमें प्रेम एवं सौहार्द्र के वातावरण को विकसित करना चाहिए।

संक्षेप में  “” ये हत्यायें व जघन्य अपराध हमारे स्वाधीनता संग्राम में हुई बलिदानियों का अपमान है। “”

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

6 COMMENTS

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Manas Shailja
Member
11 months ago

So real point of view

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

वर्तमान का वास्तविक स्वरूप 👌👌

Gourav Setia
Member
11 months ago

Very nice

Mohan Lal
Member
11 months ago

बिल्कुल सही बात है

Umang
Member
11 months ago

Highly Appreciable.

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