Saturday, March 25, 2023

कुटिल सोच या सत्ता हेतु षड्यंत्र

More articles

” कुटिल , घृणात्मक पनपती सोच या येन केन सत्ता, वर्चस्व बनाने का षड्यंत्र “”

शैतान इंसान को गिरफ्त में जब लेने लगा ,
धर्मों में ऊँच नीच के साथ जातिगत भेदभाव, ही वैर भाव का कारक भी बना ;
श्रेष्ठता की होड़ में प्रतिद्वंद्विता घृणा का पर्याय भी बना ;
तभी इंसान कभी हिन्दू व तो कभी मुसलमान भी दिखने लगा ;

शातिर चाल मौका देख कुटिलता का गन्दा खेल भी खेलने लगा ,
छुआछूत ऊपर से वर्गीय दासता द्वारा श्रापित कुचक्र में धकेलने भी लगा ;
जात पात के भेद से चाकरी के चंगुल में अब वो फंसाने भी लगा ,
तभी तो अपने को श्रेष्ठ व दूजे को नीच समझने व दिखाने भी लगा ;

चालबाज अब मौकापरस्ती में इस कदर अवसरवादिता की ओट लेने लगा ,
राजनीति से क्रूरता से सबको बाँटने की साजिश भी अब वो रचने लगा ;
कूटनीति से अब वो एक दूजे को लड़वाने का षड्यंत्र भी रचने लगा ,
वर्ग विशेष में समाज को बांट दमन चक्र से निष्कंटक राज की चाह भी करने लगा ;

—— “” चांदी की चम्मच से पनपी गरीबी व
सत्ता की धुरी से हाशिये पर जाने का भयावह दर्द और वापसी की अतिमहत्वाकांशी चाह

षड्यन्त्रकारी, विभाजनकारी , विद्वेषकारी व क्षेत्रविरोधी यहाँ तक लाशों पर तांडव नृत्य की विचारधारा को अपनाने में भी गुरेज नहीं करवाती। “” —–

“” यही सोच अधिकतर राजनेताओं की कुटिल मानसिकता में भली भांति देखी जा सकती है;
यह स्वस्थ, सुंदर व सुदृढ समाज के लिए अत्यंत घातक के साथ विध्वंसक साबित होती है।””

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
उद्देश्य – सजगता , धैर्यपूर्वक व तर्कसंगत विचारधारा से निर्णय लेने की क्षमता को विकसित होने में सहायक सिद्ध होना।

5 COMMENTS

guest
5 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
ONKAR MAL Pareek
Member
11 months ago

बहुत ही सही वर्णन किया आपने, वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल लेख है ।

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

वर्तमान परिस्थितियों से रूबरू करवाते आपके विचार अतिउत्तम

पर बदलाव की हवा पता नहीं कब और कैसे चलेगी

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

वर्ग संघर्ष एक अटल सच्चाई है। और समाज में हमेशा सुधारों की आवश्यकता रहती है। इसमें निरन्तरता अभीष्ट है ।

Latest