Saturday, March 25, 2023

चींटी “‘ सृष्टि की एक नायाब रचना “”

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Ant “” A Unique Creation of the Universe “”
चींटी “‘ सृष्टि की एक नायाब रचना “

मीठा जो बनाया था दिल से ,
रखा था सम्भाल कर भी उसे ,
जायका जो लाजवाब था उसका ,
दूर दूर तक खुशबू अब उसकी फैलने यूँ लगे ,

खैरख्वाहों के संदेश भी अब जो फिर आने लगे ,
समय पर दावत पर पहुँच जायेंगे ये सब हमको अब बतलाने भी लगे ,
कोई और भी था पसंद करने वाला उस खुशबू को ,
उन सबको नजरअंदाज कर हम बहुत खुश हो जाने लगे ,

बिन बुलाये मेहमान जो पहुँच अब उसे चटकाने भी लगे ,
उन्मुक्त हो वो अब जश्न भी मनाने लगे ,
सबके सब पहुंच पंक्ति में जो अब उसे बड़े ही चाव से खाने भी लगे ,
अचानक ये शुरू पार्टी चलते देख अब मेरे पसीने भी छूटने लगे ,

थोड़े समय में बड़े कारवां में जो अब बदलने भी लगे ,
जिनका नहीं था कोई नामोनिशान भी ,
उनकी मौजूदगी से अब हम परेशान होने भी लगे ,
कोई रहबर उनके भी जरूर ही जो रहे होंगे ,

वरना बहुत ही कम समय में यहाँ अब वो कैसे पहुँचने लगे ,
कुदरत के करिश्मे का जादू अब जरूर बिखरा होगा ,
या फिर बहुत जल्दी उनको पनपाया भी होगा ,
फिर मीठे का पता भी उनको बताया होगा ,

दोस्त पहुंच जो महक के कशीदे पढ़ने लगे ,
नजारा देख सूरत ऐ हाल पार्टी का ,
जो अब उलाहने पर उलाहना देने में लगे ,
झुकी गर्दन के बीच अपना बचाव करने लगे ,

मीठा थोड़ा सा जो बचा वो पानी के बीच रखा हमने ,
मेहमान भी अब धीरे धीरे नदारद होने लगे ,
कुछ समय पश्चात मीठा से अतिक्रमण अब जो हटने लगा ,
मुँह में फिर पानी आया और वक्त भी कुछ सिखाने में लगा ,

सृष्टि की लीला देख अब आश्चर्यचकित हम होने लगे ,
क्षणभंगुर जीवन चक्र से बड़े ही हैरान फिर हम जो होने लगे ,
प्रकृति का नियम ही सर्वसत्य है और सर्वमान्य भी ये अब जो फिर हम मनाने लगे ,
कुदरत की नायाब रचना ” चींटी “” को भी नमन कर अब फिर उसे जानने भी लगे ,

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
10 months ago

चींटियों से सीखिये..

हारिये ना हिम्मत ।।।

ONKAR MAL Pareek
Member
10 months ago

ये सृष्टि इस धरा पर पैदा होने वाले हर जीव को जीने की वजह देती है और लालन पालन का जिम्मा लेती है / और हम लोग ये सोचते है की ये सब हमारे द्वारा किया हुआ है जबकि हकीकत कुछ और होती है हम कठपुतली की तरह वही करते जाते है जो की पूर्व निर्धारित होता है / इस सृष्टि ने ऐसा जाल बुना है की सब जीव एक दूसरे पर आधारीत है उदाहरण के तौर पर कोई गंदगी फैलाता है तो वहीं इस सृष्टि का दूसरा जीव उसे ख़तम करने का काम भी करता है / यहाँ छोटे से छोटे और बड़े से बड़े जीव मात्र का अपना महत्व है फिर चाहे वो चींटी ही क्यों न हो ( इस प्रकृति के नियम बहुत ही रोचक है जरूरत है तो इन पर विचार करने की और इसके नियमों का पालन करने की …………)

Rampratap gedar Ram
Ram gedar
10 months ago

वाकई me sir kya likha hai aapne sach me खुशबु ke liye जीती hai saat me ek dushre ko जोड़ती hai

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