“” वीर बाल दिवस या फिर अन्याय के प्रतिकार में “” बाल अद्म्य साहस दिवस “” “”
सच कहाँ , किसने और कब है समझा ,
खुद को साबित करने में दूसरे को गलत ही समझा ;
लगाई गई जब दौड़ जोर आजमाइश की ,
जीत की खातिर नियम, कायदे कानून को अक्सर सबने फाड़ कर फेंका ;
नीति अनीति कुछ भी नहीं होती है सनक के आगे ,
जब खून सिर पर सवार हो तो किसने अपना और पराया देखा ;
खेलनी ही हो जब खून की होली तो ,
दया की भीख मांगते मासूम जानवर को हांफते तो कभी नन्ही जान को बिलबिलाते देखा ;
जब बात ही आ जाये धर्म में आस्था vs कट्टरपंथी धर्मान्धता की ,
वहाँ निरापराध इंसान ही नहीं, वहशीपन ने अबलाओं की रूह तक को नहीं छोड़ा ;
ऐसे में जो दे ललकार ऑंखों में आँख डालकर उस दरिन्दगी व क्रूरता को तो ,
उसे आस्था की आवाज कहें या फिर बाल वीर जोरावर सिंह और फतेह सिंह जिन्होंने ने दीवारों में जिंदा चिनकर अपने आत्मबलिदान से धर्म को सींचा।
“” महान सोच के वाहक उन बहादुर , साहसी व निर्भीक व्यक्तित्व को मेरा बारम्बार शत शत नमन “”
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
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बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की लासानी शहादत को कोटि कोटि प्रणाम
वीर सपूतों की शहादत को शत शत नमन
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वीरों को नमन