“” Committed to Gurudev “”
“” गुरुदेव के प्रति वंदना “”
सुना व देखा पीड़ा में जब हर बार किसी को ,
आँसुओं की जगह हम सिर्फ लहू की टपकती हुई बूंद देखते हैं ;
क्रूरता भरे अन्याय के आक्रोश को रगों से फिर उतारा जो ,
कलम से निकला हर हर्फ़ अब हम न्याय की गुहार भरे सिर्फ दर्द ही लिखते हैं ;
सच कहता हूँ मानस जैसे जिसके मित्र होते हैं ,
ठीक वैसा ही नहीं उसका चरित्र मिलताजुलता जरूर होता है ;
इसीलिए पुराने बुजुर्ग कुल को जानके ही रिश्ता ,
चाहे पानी साफ कितना भी हो उसे छान कर ही जो पीते हैं ;
सौभाग्य से गुरू भी हमें ऐसे ही निर्मोही कर्मयोगी संत जो मिले ,
हर असहाय के प्रश्नों का हल खोजने में लगे रहते हैं,
सब कहते हैं ये मानवीय मूल्यों की जीती जागती मिसाल हैं ,
पर सच कहूँ तो साधारण से प्राणी में असाधारण व्यक्तित्व छुपा भी देखते हैं ;
ऐसे परमश्रद्धेय गुरुदेवों की हल्की सी छाया मुझ पर जो पड़ी ,
हर किसी मुख्लिस के दर्द की आवाज बनने को जी चाहता है ;
निजी जिम्मेदारी की वजह से करता हूँ टालने की कोशिश मैं बहुत बड़ी ,
फिर न जाने क्यूँ हर मजलूम का दर्द मानस “” मेरा अपना ही मर्म बन जाता है “” ;
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
सतत रूप से कुछ सीखने की जिज्ञासा या प्रयास एक अच्छे विद्यार्थी का गुण है । और मैं जीवन पर्यंत विद्यार्थी ही बनी रहना चाहती हूं।,- प्रोफेसर सरला जांगिड़