Tuesday, March 21, 2023

“” खुद पर यकीन भी और हालात की बेबसी भी “”

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Confidence on myself and also helplessness with situation
“” खुद पर यकीन भी और हालात की बेबसी भी “”

मुकम्मल मुक़ाम, ना हासिल कर पाये इस जहाँ में ;
फिर भी एक जगह ठहर ना पाया पल दो पल , न जाने क्यों इस खूबसूरत फ़िजां में ;

प्यार से न दूर रह सकते थे, परवान चढ़ती बेइंतहा मोहब्बत में ;
फिर भी इश्क़ में न सज़दे कर पाये उसके अरमानो के पल , न जाने क्यों रहते हुए भी इस गुलिस्तां में ;

बच्चों के बेहद प्यार और माता पिता आशीर्वाद के बिन, एक दिन भी न गुजरा था कभी इस जिंदगी में ;
फिर भी ना खुश ना ही खयाल रख पाये,  न जाने क्यों साथ रहते हुए भी अपने इस मकान में ;

ना धोखा ना ही की कोई बेईमानी, अपने कर्म और व्यवहार हेतु इस जीवनकाल में ;
फिर भी बिछ गया मैं समर्पण में उनके, न जाने क्यों ना रहे दोस्त ना ही रहे रहनुमा दिल की पहचान में ;

मेरा कसूर बस इतना था कि कुछ बड़ा करके दिखाऊँ , न दूँ हाज़री इस नश्वर व अहम के संसार में ;
फिर भी जोखिम भी ली हद से ऊपर ऐतबार भी किया, न जाने क्यों कुछ की फ़ितरत ना पहचान पाया दुनिया के इस तामझाम में ;

अब मुनासिब होगा, जिंदगी मेरे गुनाहों का हिसाब कर देने में ;
एक बार फिर धरातल पर ला जो खड़ा किया मुझको,  न जाने क्यों हौंसलों से फिर भर गया जीवन मेरा देने किस्मत के अगले इम्तिहान में ;

Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
Follower – Manas Panth
Purpose – To discharge its role in the promotion of education, equality and self-reliance in social.

11 COMMENTS

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Pawan Kumar
Pawan Kumar
11 months ago

Best thought

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

मुकम्मल मुकाम किसको मिला है इस जहां में ,

जिनको मिला है तो भी उनमे अभी लालसा बाकी है।

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

बहुत सुन्दर

Sanjay Khemka
Sanjay khemka
11 months ago

बेहद उम्दा

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Nice Ji

Garima Singh
Garima Singh
10 months ago

मुक्कमल जहां मिल जाता तो जीने की वजह क्या रहती,

बदलते रास्ते बदलते वास्ते और बदलती दुनिया ही सही आयाम तक अक्सर ले जाया करते हैं |

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