“” Everyone wants followers to Crowd but No one wants to Be Part “”
“” भीड़ का हिस्सा नहीं पर हिस्से में भीड़ हो “”
“”” हर इंसान भारी भीड़ तो चाहता है,
पर वह “” भीड़ में शामिल होना “” नहीं चाहता। “””
“” इंसानों की फ़ितरत कहूँ या अदा ,
बोलना अच्छा लगता है कहीं सुनने से ज्यादा । “”
“” इंसान भी क्या अजीब प्राणी है —–
भीड़ में रहो तो, एकांत हीअच्छा लगता है ;
अकेले में खड़े हो तो, सामने भारी भीड़ को दर्शक में देखना अच्छा लगता है ;
न्याय की कतार में तो, अधिकार की बात करता है ;
सत्ता में हो तो, दायित्व व आदेश नियमों का हवाला देता है ;
पढ़ लिख जाये तो , अच्छी नोकरी करना चाहता है ;
बन जाये जब बाबू तो, मालिक /हुक्मरानों की तरह धौंस भी चलाना चाहता है ।””
★★ “” इंसान जब तक सुख प्राप्त नहीं कर सकता है,
जब तक अपने सामर्थ्य पर वह पूर्णतया भरोसा कर नहीं लेता। “”” ★★
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
बहुत खूब
फितरत….
उत्तम विचार—-
इन्सान की फितरत है वो किसी भी
चीज की कदर सिर्फ दो बार करता है,
एक मिलने से पहले दूसरी खो देने के बाद ।