Monday, March 20, 2023

Death Penalty / मृत्यु का वरण

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Death Penalty / self-immolation

“” मृत्यु का वरण “” या
“” देहांत “” या
“” स्वर्गवास “” या
“” जीवन चक्र से विरक्ति या मोहभंग / आत्मदाह “”

—– ये सब मृत्युलोक यात्रा की समाप्ति के शब्द प्रतीक हैं। —-

★★★ इस संसार का अटल व शाश्वत सत्य एक ही है – “” प्रकृति परिवर्तनशील है यानि यहाँ यथावत व शाश्वत कुछ भी नहीं है। “” ★★★

दूसरे शब्दों में –
“” प्रकृति में नव निर्माण की प्रक्रिया निरन्तर गतिमान रहती है। “”

सरल शब्दों में –
“” जो इस आँख से दिख रहा है और जो इन कानों से सुना जा रहा है। वह सब नश्वर है। “”

★★ यह पृथ्वी ही नहीं इस ब्रह्मांड में जो भी है वह सब नश्वर है। एक तय समय सीमा के पश्चात उसे नष्ट होना ही नव सृजन का आधार है। ★★

◆◆ पृथ्वी पर प्रकृति आपदा तो ब्रह्माण्ड में ब्लैकहोल । ◆◆

“” किसी जीव की मृत्यु हमारे व हमारे परिवार के लिए बेहद दुःखद व पीड़ा का विषय हो सकता है। कभी कभार तो देस या पूरे मानव समाज के लिए यह बड़ी क्षति भी हो सकती है।

परंतु निर्बाध, निरन्तर चलने का नाम ही प्रकृति है।

★★ किसी के विचारों को अपनाने / जीवन में आत्मसात करने से वह इंसान मर कर भी जिंदा रह जाता है। ★★

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

2 COMMENTS

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Manas Shailja
Member
1 year ago

so nice

Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 month ago

🙏🙏🙏

जिंदा जिस्म बनकर रहने में क्या फायदा,,

कुछ ऐसा करो कि स्मारक बने…।।।।

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