“” Governments’ Promises and Deceit from Reality “”
“” सरकारों के वादे व हकीकत से छलावा “”
सरकारें आयी और न जाने कितनी बार गई भी ,
सब कहते थे गरीबी मिटा देंगे ;
सदैव हालात बद से बत्तर ही हुए हर बार ,
हमदर्द कोई न बने हमारा चाहे हम खून के आँसू भी बहा देंगे ;
रोज़ी रोटी की तलाश में काम व शहर बदलते गये हम ,
लगा था एक दिन भूख की दौड़ से बाहर हम भी आएंगे ;
पुकारे गये कभी दिहाड़ी मजदूर तो कभी खेतिहर ,
पता नहीं कब आंकड़ों की बाजीगरी में फिर अप्रवासी मजदूर भी बना दिये जायेंगे ;
पक्के रोजगार की तलाश में जो फंसे ठेकेदारी के चंगुल में जब भी ,
रिश्वत या कमीशन तो कभी अस्मिता या फिर ज़मीर भी हमसे लूटवा लिये जायेंगे ;
अहसान उतारवाने की एवज में महल भी बनवा दिये उनके ,
दिलों जान से काम ही नहीं चला तो चमड़ी भी उतरवाकर हमारी वे अपने घर ले जायेंगे ;;
जिंदगी की गुजर बशर चल रही थी कभी रेल तो कभी सड़क की पटरी पर ,
लगा था एक दिन अपनी झुग्गी तो बना ही पायेंगे ;
सरकार का लक्ष्य बस्ती हटाकर पक्के मकान देकर गरीबी को हटाना होता है ,
लगता है गरीबी हटाने के चक्कर में गरीब को ऋण दिलाकर राजधर्म में मजदूरों को बंधुआ का दर्जा जरूर ही दिलवायेंगे ;
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
Protect against government!!!
कड़वी सच्चाई
बिल कुल सही बात है
बिल कुल सही बात है