“” Education is not just Letter Knowledge “”
“” शिक्षा मात्र अक्षर ज्ञान नहीं “”
कौन और किसके लिए शिक्षा की अलख जगाने है आया ,
गलती को तर्क की जाँच व स्वविवेक से गुजरने पर ही हमने हल है पाया ;
विषय के ज्ञान की अनभिज्ञता तो सिर्फ शिक्षा से ही होगी दूर हमारी ,
है दर्ज कहीं पर की मूर्खों के सरदार को बहस का न्योता कभी है आया ;
ज्ञान का मन्दिर भी कभी घर पर ही स्वतः चलकर है आया ,
आत्मकल्याण तो सिर्फ आत्मविश्लेषण के द्वार खोलने से ही प्राप्त है पाया ,
आत्मज्ञान ही उसका एकमात्र तेरा जो है सहारा ,
कौन है जो अपने आत्मप्रकाश से दूसरे को प्रकाशित करवाने है आया ;
कौन कभी किसकी सूरत को सँवारने है आया ,
अपना लिबास खुद ही को हमेशा बदलना पड़ा है भाया ;
उठो और अपने घर के कोने कोने को रोशनी से नहलाओ ,
अंधेरी सुनसान हवेली में भी कौन मशाल जलाने कभी है आया ;
कौन जागीर अपनी लुटाकर दूजे की गरीबी दूर करने आया ,
स्वावलंबन के रास्ते ही बेरोजगारी दूर करने का हमने एकमात्र तरीका है जो पाया ;
निर्धनता मिटा फिर लक्ष्य हो दूसरों की सेवा करने का ठीक लगता है जनाब ,
वरना किसने दरिद्र को कभी अपने घर मेहमान नवाजी वास्ते है बुलाया और तभी मानवीय मूल्यों को जन जन तक पहुंचाने का मानस ने बीड़ा है उठाया ;
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
शिक्षा का व्यापारिकरण होने के कारण एवं कुछ राजनीतिक उदासीनता के कारण शिक्षा पद्दती आज के इस जमाने मे अपना अष्टित्व ही खो रही है ओर रही बात शिक्षा शब्द की तो मैं भी ये मानता हूँ की ये शब्द मात्र नहीं अपने आप मे इसका बहुत असीमित वजूद है जिसको जितना खोजा जाएगा ये उतना ही निखार कर सामने आएगा / शिक्षा को शब्द मात्र या अक्षर ज्ञान मात्र मानना खुद के साथ खिलवाड़ करना मात्र है /
Really Applicable Comment
Right 👌🏻❤🙏🙏