Monday, March 20, 2023

“” सकारात्मक कर्मफल बनाम मुकद्दर “”

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“” सकारात्मक कर्मफल बनाम मुकद्दर “”

जब -2 मैं अकेला चला ,
लगा मेरे साथ कोई और भी चला ;
खुश हुआ जो कोई तो मेरे साथ भी चला ,
अजीब ही अहसास से अब मैं वाकिफ़ हो चला ;

चीरता सन्नाटे को अब मैं और आगे जब बढ़ चला ,
अँधेरा जैसे जैसे बढ़ा तो परछाई पर दबाव भी बढ़ने लगा ;
वफ़ा की दुहाई देते हुये साया भी अब साथ छोड़ चला ,
ऐसे में भी था कोई जो फिर मेरे साथ हर वक़्त चला ;

पूछ ही लिया था मैंने जो भाई तू कौन है बता ,
जब साये ने ही साथ छोड़ा तो बता तू फिर क्यों  साथ चला ;
अंदर से एक आवाज़ आयी भई मैं हूं मुक़्क़द्दर तेरा ,
तेरे गुनाहों का हिसाब करने मैं हूँ जो निकल पड़ा ;

पूछा क्या चाहता है तू मुझसे बस ये ज़रा बता ,
होगा जो तेरे सामने आयेगा तुझे मैं अब बताऊं क्या ;
समय में ही छुपा है तेरे जबाबों का सिलसिला ,
वक़्त का इंतजार किसे अब मैं तो सारे गुनाह ही कबूल कर चला ;

उसने कहा इतनी भी जल्दबाजी में क्यों भला हो चला ,
तेरे हर कबूलनामे पर तो हमें यकीन है हो चला ;
फैसले के इंतजार में वक़्त का दबाव बहुत हो चला,
संजीदगी से एहतराम जता अब मैं फिर मंजिल की तरफ आगे बढ़ चला ;

नादान हर गुनाह तू जो धीरे धीरे कर चला ,
चाहता है जल्द मुकम्मिल हो जिंदगी का हर फैसला ;
तेरे एक एक जुर्म का हिसाब तो कब का ही हो चला ,
जी ले जो तू चाहे पर तेरा नसीब तो मैं पहले ही सब लिख चला या मानो कर्मफल ही होता है मुकद्दर यह हमको अब वो समझा चला ;

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
9 months ago

सकारात्मक ऊर्जा का ही परिणाम होता है,

जो हमें हमारे लक्ष्य को पाने मे मदद करता है।

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