Tuesday, March 21, 2023

अल्हड़ जीवन / Extreme Love / Infinite Love

More articles

— अल्हड़ जीवन / Extreme Love / Infinite Love  —

संघर्ष है जब जीवन में हर दिन ,
तो क्यों न फिर इश्क़ में ही जी कर देखते हैं ;

जिंदगी जी ली भरपूर बड़े ही लिहाज से ,
तो फिर क्यों न इश्किया अंदाज के ही जिंदगी नाम करके देखते हैं ;

उम्र गुजार दी अहसानों का बोझ चुकाने में ,
तो फिर क्यों न थोड़े लम्हें ही सही पर इश्क पनाह में बिताकर भी देखते हैं ;

तेरे कदमों में सिर झुकाते होंगे कई ,
तो फिर क्यों न हम अब ऑंख में आँख मिलाकर ही देखते हैं ;

इश्क़ की आग में पतंगों की तरह जलते रहे हैं लोग,
तो फिर क्यों न उस आग को आँखों में बसाने का ये तमाशा भी सरे आम करके देखते हैं ;

माना प्यार की राहों में काटें बहुत हैं,
हाथ लहूलुहान भी क्यों न हो जाये उनको एक एक कर चुनकर भी देखते हैं ;

दर्द ऐ अश्क़ सबको पीना पड़ता है ,
खून ऐ ज़िगर में भी ऑंख से टपकते लहू को फिर क्यों न सरेबाजार पीकर भी देखते हैं ;

बहता है आग का दरिया सब कुछ ख़ाक करने के लिये ,
कश्ती न थी फिर भी हमें लगा इसमें डूबकर ही पार करके देखते हैं ;

इश्क़ का नशा खुद को मिटाकर ही चढ़ता है परवान पर ,
फ़नाह करने से पहले तड़प की आह से नशा ऐ इश्क़ दिलोदिमाग पर चढ़ाकर भी देखते हैं ;

जिंदगी भर बार बार लूटते देखा सबको इश्क़ में हमने,
फिर भी क्यों न जश्न ऐ बर्बादी को ही गले लगाकर देखते हैं ;

दिलबार ने चाहा एक बार फिर से अजनबी ही बन जायें ,
तो फिर क्यों न इश्क़ लड़ाने का कमाल जिंदादिली से निभाकर ही देखते हैं ।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

18 COMMENTS

guest
18 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Sarla Jangir
Sarla jangir
11 months ago

Excellent 👌

Garima Singh
Garima Singh
11 months ago

बहुत उम्दा अभिव्यक्ति

ATTER SINGH
ATTER SINGH
11 months ago

Excellent

ONKAR MAL Pareek
Member
11 months ago

ये इश्क मानस के विचार से तो जहां तक मैं समझता हूं किसी से भी हो सकता है अपने काम से इश्क अपने कर्तव्य से इश्क अपने जुनून से इश्क अपनी कामयाबी से इश्क अपनी तन्हाइ से इश्क । सही लिखा महोदय इश्क की इम्तेहान में डूब कर तो देखो दुनिया का नजरिया ही बदल जाएगा । बस फर्क है तो सिर्फ इस इश्क को देखने और समझने के नजरिए का ।

ONKAR MAL Pareek
Reply to  Manas Jilay Singh
11 months ago

Thanks sir

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

लागी ऐसी लग्न………..

True loving thoughts

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

हम इश्क़ के हैं बंदे

मजहब से हैँ न वाकिफ़

गर काबा हुआ तो क्या

बुतखाना हुआ तो क्या ।

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Nice 👍🙂👍

Mahesh Soni
Member
11 months ago

माना की, आपकी नजरों में हमारी प्राइस थोड़ी कम है।
माना की, आपकी नजरों में हमारी प्राइस थोड़ी कम है।
परन्तु जो जानते है हमे, वो मानते है कि हमारी वैल्यू में कितना दम है!
इसलियें कहते है कि प्राइस देख कर चीज की वैल्यू नही आंकी जाती।
~महेश सोनी

Mahesh Soni
Member
11 months ago

इन्शान से चाह रखोगे तो धोखा मिलेगा

अपने काम से चाह रखोगे तो मौका मिलेगा

Latest