Tuesday, March 21, 2023

“” मुकद्दर या सफलता की सीढ़ी “”

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“” Ladder of Success or Luck “”
“” मुकद्दर या सफलता की सीढ़ी “”

जिंदगी के बेरहम फैसलों से परेशां होके ,
जो चले थे हम उसे निजात पाने ;
कभी होंठों से कस लगाये ,
तो कभी लोगों संग जाम से जाम भी टकराये हमने  ;

लड़खड़ा के जो पाँव चले पाने थोड़ा सा शकुन ,
लगा कभी जो मौत को भी गले लगाने ;
पर यकीन न था मुकद्दर पर जो देगा कभी मुझे जरा भी शकुन,
फिर लगा हूँ क्यों उसके भरोसे पर जिंदगी ही गवाने ;

लगा मुझे फिर बदनाम न हो भी मुकद्दर का जो नाम ,
हम तो बेवफ़ा भी नहीं कह सकते मुकद्दर को जो लगे थे दिल पुकारने ;
बेवफा में कुछ तो होती है ग़ैरत और रहमदिली भी ,
जो तरस खाकर कुछ तो कदम  चलती है साथ वफ़ा का निभाने ;

मुकद्दर और जोर से हंसा हमें नादान समझ कर जो ,
पण्डित कब पहन टोपी लगा निकाह पढ़वाने ;
किसी अजेय को बाणों की शैय्या तो कभी अबोध बालक को नरसिंह की गोद मिली ,
मैं तो उसका गुलाम हूँ जो अपनी कमी को सुधार कर अपनी बुध्दिमत्ता से परिश्रमी भी बना हो जो मुझे जीतने ;

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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Pawan Kumar
Pawan Kumar
9 months ago

Good thoughts carry on

Sanjay Nimiwal
Sanjay
9 months ago

मंजिलें उन्हे नहीं मिलती जिनके ख्वाब बड़े होते हैं ,

बल्कि मंजिले उन्हें मिलती है जो जिद पर अड़े होते है।।

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