Thursday, April 25, 2024

Meaning of Vibration | प्यार एक तड़प और एक अभिलाषा भी

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प्यार एक तड़प और एक अभिलाषा भी | तड़प का अर्थ
Meaning of Vibration | Definition of Vibration | Vibration Ki Paribhasha

| Love is a Desire and also a Vibration |
| प्यार एक तड़प और एक अभिलाषा भी |

कोई तो हो जो मुझको भी प्यार करे ,
कोई तो हो जो मुझको भी प्यार का इज़हार करे ;

कोई तो हो जो मुझ संग आँखें चार करे ,
कोई तो हो जो मुझे गले लगाने की गुहार करे ;

कोई तो हो जो कुछ तो खाने की मनुहार करे ,
कोई तो हो जो झील सी आंखों में तैरना स्वीकार करे ;

कोई तो हो जो चार पल सँग बैठने को भी त्यौहार करे ,
कोई तो हो जो मेरे आलिंगन का अधिकार धरे ;

कोई तो हो जो मेरे सँग नाम जोड़ने का गरूर करे ,
कोई तो हो जो खाने का निवाला मेरे हाथों का भी कबूल करे ;

कोई तो हो जो बालों को सहलाने का सरूर करे ,
कोई तो हो जो मेरी मुस्कान बनने की जिम्मेदारी भरे ;

कोई तो हो जो बिन कहे सुन लेने का भी काम करे ,
कोई तो हो जो नाराजगी को अपने मर्म से प्रतिकार करे ;

कोई तो हो जो आँखों के पानी का भी तारणहार बने ,
कोई तो हो जो चंचल चपल नयनों से मेरा भी दीदार करे ;

कोई तो हो जो उदासी में बच्चे की तरह मुझे दुलार करे ,
कोई तो हो जो दुःख के सागर में मेरी पतवार बने ;

कोई तो हो जो मेरे होठों की प्यास मिटाना अंगीकार करे ,
जिऊँ जीवन के चाहे चार दिन पर कोई तो हो जो मुझे जीवन का श्रृंगार कहे ;

कोई तो हो जो मित्र बन जीवन में रक्षण की हुंकार भरे ,
कोई तो हो जो महबूब बनने की चाह को सरेबाजार इक़रार करे वरना जुगनू के इंतजार में दीपक को हर दम जलना ही पड़े ।

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प्यार एक तड़प और एक अभिलाषा भी | तड़प का अर्थ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

8 COMMENTS

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 year ago

सरेबाजार ना सही, प्यार का इजहार तो करें…

इजहार भी ना सही, पर प्यार का इनकार तो ना करें।।।

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
1 year ago

बहुत सुन्दर

jagmohan chugh
Jagmohan
1 year ago

Koi ikrar to kare chahe ek bar hi kare

ONKAR MAL Pareek
Member
1 year ago

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है

वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है

यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है

यही होता है तो, आख़िर यही होता क्यों है

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन

उसके सीने में समा जाए, हमारी धड़कन

इतनी क़ुर्बत है तो फिर, फासला इतना क्यों है

दिल-ए-बर्बाद से निकला नहीं अब तक कोई

इक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई

आस जो टूट गयी, फिर से बंधाता क्यों है

तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता

कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता

है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है

Pawan Kumar
Member
1 year ago

Nice

Mohan Lal
Mohan
1 year ago

सर पैसा है तो सब प्यार करेंगे पूछेंगे नही तो देखे ge भी नही

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