Meaning of Purusharth / पुरुषार्थ की परिभाषा
“” अनिश्चित को निश्चित करने की चाह में आधारशिला जब पुरुषार्थ से न होकर जब अदृश्य शक्ति के भरोसे होने लगे तो यह रास्ता अन्तोगत्वा सिर्फ धर्म / पँथ की ओर ही ले जाता है। “”
“” अपने बूते से ज्यादा जब चमत्कार से ही उम्मीद* जगने लगे तो इसका मतलब आप अनजाने में ही परोक्ष रूप से निराकार की सत्ता को स्वीकार करने लगे हैं और इसकी परिणीति सिर्फ धर्म / पँथ का मार्ग ही प्रशस्त करती है। “”
“” अपनी शक्ति , सामर्थ्य या पौरुष द्वारा अर्जित से भी कहीं ज्यादा
जब दान, उपहार की उम्मीद अलौकिक , अविरल व अद्वितीय शक्ति से हो तो,
अंधविश्वास से गूँथा हुआ कल्पना जाल ही धर्म / पँथ कहलाता है। “”
★★★ “” किसी के द्वारा वर्चस्व, ऐश्वर्य या भोगविलास की आकांक्षा या सभी की पूर्ति हेतु रचे गये प्रपंच का शिकार जब मानसिक निर्बलता / कमजोरी के चलते सामर्थ्य से अधिक की तमन्ना हो तो निश्चित ही यह भ्रमजाल धर्म / पँथ होगा। “” ★★★
★★★ “” मानसिक गुलामी की शुरुआत ही करिश्माई उपहार की अभिलाषा है “”
“” बल व योग्यता को दरकिनार कर निरन्तर जादू या अजूबे की कामना बनाये रखना ही धर्म / पँथ में पनपी अकर्मण्यता की बेड़ियों द्वारा बनी अनसुलझी गिरफ्त “” ★★★
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
so nice
सुन्दर 🙏👌🙏
वक़्त के इंतजार मे, वक़्त बर्बाद ना कर,
वक़्त को अपना बनाने के लिए पुरूषार्थ कर…..