Monday, March 20, 2023

Meet with Me in Routine Life Schedule

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” Meet with Me in Routine Life Schedule ”

कौन कहता है ज़नाब हम घर में अकेले रहते हैं ,

वैसे एक बहरूपिये को मेरे अक्स के साथ हर रोज आइने में मुस्कुराते देखते हैं ,

कलम का छूना मानो नव निर्माण में शब्दों के संसार से हाथ से हाथ मिलाकर भी देखते हैं ,

घड़ी के कांटे को भी मानो बच्चों के साथ कदम से कदम मिलाते चलकर भी देखते हैं ,

लैपटॉप के विन्डो से मेरे बाप के आँखों की तरह मेरे कर्म के प्रति समर्पण का निरीक्षण करवाकर भी देखते है ,

Ac की ठंडी हवा मां के दुलार, सहला व प्यार के रूप में देखते हैं ,

खिड़की से आती रोशनी दोस्तों के मार्गदर्शन का जरिया समझकर भी देखते हैं ,

कम्बल से लिपटकर सोना मानो हमसफ़र से रुबरु होकर देखते हैं ,

क़मीज़ के बटन टगा ऐसे की दिलबर को फिर बाहों में कैद होकर देखते है ,

चूल्हे की आग से मेहनत की भट्टी पर व्यक्तित्व के निर्माण की रोज प्रेरणा लेकर भी देखते हैं ,

बेलन से बनी रोटी के आकार द्वारा कार्यकुशल व्यवहार से जिंदगी के मायने बनते बिगड़ते भी देखते हैं ,

घर में मन्दिर नहीं है तो क्या फिर भी घर द्वार आये मेहमान या फिर याचक को कभी कभी “” खुदा “” मानकर भी देखते हैं ।

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – पत्थर की मूर्त में आपका एक आदर्श तो हो सकता है पर खुदा नहीं। इस विचारधारा के अंतर्गत प्राणित्व में ही ईश्वर का वास है इसको प्रचारित करना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

मन का दर्पण कभी धुधंला ना हो

जनाब

बस यही रब से कामना करते हैं…

क्यों कि दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता।

jagmohan chugh
Jagmohan
11 months ago

शानदार

Yogesh Sharma
Member
11 months ago

Yes my dear as par astrology your words true.

Garima Singh
Garima Singh
11 months ago

Bahut umda abhivayakti

Mahesh Soni
Member
11 months ago

जो जुबान से जवाब दें, वह हम नही!

जो जज्बात से बात करें, वह हम नही!

खुदा की बनाई हुई कोई नायाब चीज़ हम नहीं!

किस्मतों की किताब तुम पढ़ते हो, हम नहीं!

जिंदगी जीना है हमें, हम किसी के मोहताज नहीं!

महेश सोनी

Mahesh Soni
Member
11 months ago

कुछ बीत चुके हैं पल, कुछ अधूरी सी ये जिंदगानी है | 

कुछ अपनों के संग बितानी है, कुछ अकेले गुजर जानी है |

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