“” Misleading Idea or Distortion of Message “”
“” भ्रामक विचार या सन्देश की विकृति “”
हमने गुनगुनाये प्यार के नग्में इस तरह जो ,
साथ देने वाले का रिद्म देख वो रूह की आवाज समझ बैठे ;
हमने जब करी नज़्म में इमदाद उनकी जो ,
थोड़ा सा हो हल्ला हुआ जो इस तरह कि उनके विरोध में होने का आगाज़ समझ बैठे ;
हमने लिखा प्रेम से सहयोग देने का संदेश सबको जो ,
पदचापों से बनी जमीं की थरथराहट को अब वो भूकंप ही समझ बैठे ;
कागज़ पर उकेरा इस कदर दिल का अंदाज़ ऐ बयाँ जो ,
तूफानों से नहीं हर्फ़ों से ही आयें हैं जलजले अब वो ये ही समझ बैठे ;
हमारी मासूमियत बनी तेज झुलस की वजह इस तरह जो ,
टेढ़ी बोंहों वाली आँखों की गर्मी को चिलचिलाती धूप की तपिश ही समझ बैठे ;
हमारी तिरछी नजरों ने भरी दोपहरी में तांडव नृत्य करवाया इस तरह जो ,
आँखों के अंगारों से झुलसे तलवों को अब धधकती भट्टी से बने छाले ही समझ बैठे ;
हम पंक्ति में चले कदम से कदम मिला कर इस तरह जो ,
पिछलग्गूओं की अनुशासन प्रियता देख वो सेनानायक ही समझ बैठे ;
जब हुये थोड़े से रहबर हम उनके जो ,
प्रेममयी आक्रोशित अभिव्यक्ति को देख ही जो खिलाफ़त ऐ हकूमत का सरदार ही समझ बैठे ;
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
आओ अब विचार करें
सामने रखें दर्पण
सत्य को स्वीकार करें
गवाँ चुके काफ़ी समय
और न गँवाएँ अब
उलझी हुई समस्या को
और न उलझाएँ अब
मिल जुलकर बैठें सभी
खुद पर उपकार करें
आओ अब विचार करें ।
सड़ते हुए घावों को
कब तक ढक पाएँगे
गोलियों से कब तक अपना
दर्द हम भुलाएँगे
साहस से खोलें और
खुद से उपचार करें
आओ अब विचार करें ।
शकुनी के षड्यन्त्रो मे
दुर्योधन व्यस्त है
बुद्धिजीवी भीष्म सारे
जाने क्यों तटस्थ हैं
न्याय का समर्थन
अन्याय का प्रतिकार करें
आओ अब विचार करें ।
सारे मुखपृष्ठों पर
गुण्डों के भाषण हैँ
कुण्ठित प्रतिभावों पर
तम का अनुशासन है
तथ्यों को समझें
भ्रम का बहिष्कार करें ।।
आओ अब विचार करें ।
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति