Saturday, March 25, 2023

“” रखैल तो कभी वैश्या “”

More articles

“” Mistress sometimes Prostitute “”
“” रखैल तो कभी वैश्या “”

हाथ आँसुओं को पोंछने से ज्यादा जब लिबास को छूने से जो रोकने में लगे ,
जमीर बचाने जब हैवान के पैरों में भी गिरने लगे ;

बेबसी भी खुले आसमां से दया की एक बूंद जब मांगने लगे ,
मसीहा का इंतजार करने में टकटकी भी जब आखिरी में जो पथराने लगे ;

तो आँसुओं का समंदर भरी बारिश में भी सूखने लगे ,
जिस्म से दरिंदगी की हद भी जब दो वक़्त की रोटी होने लगे ;

सूखे गले की प्यास ही जब हया ताक पर रखवाने लगे ,
रूह का तार तार होना भी जब जिंदा रहने की कीमत बताने लगे ;

तो रहबर से ज्यादा ज़ुल्मी पर ही रहम की आस अब करने लगे ,
दर्द की हर चीख पर बहरी दीवारें उसे विक्षिप्त जो बनाने में लगे ;

तो बदन भी ढ़कने के लिए एक चीर का सहारा लेने लगे ,
तो फिर खून भी जो टपकाने से कर्कश आँखें इंकार करने लगे ;

हवस की सनक भी झेल लबों पे मुस्कान का जो इक़रार करने लगे ,
शारीरिक उत्पीड़न भी हंसी में दिखा वहशी का ऐतबार जो जीतने लगे ;

हर दरिंदगी को जिस्म पर आज़माने का अख्तियार जब जो करने लगे ,
वो पल पल मर कर भी अपने जिंदा होने का वजूद दिखा दुनिया की नज़र में कभी “” रखैल “” तो कभी “” वैश्या ” जो अब कहलाने लगे ;

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

1 COMMENT

guest
1 Comment
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
Devender
Devender
8 months ago

शानदार लेख

Latest