Saturday, March 25, 2023

“” मानस किसे कहते हैं “” or “” रामचरितमानस क्या है “”

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“” मानस किसे कहते हैं “” or “” रामचरितमानस क्या है “”
“” Manas Kise Kahte hai “” OR “” RamCharitManas Kya Hai “”

“” मानस “”

“” मानस का पौराणिक मान्यता में अर्थ “”
उदाहरण में —
“” रामचरितमानस “” की व्याख्या ज्यादातर सन्धि विच्छेद द्वारा इस तरह से की जाती है।

राम + चरित + मानस
जहां
राम = मर्यादा पुरुषोत्तम
चरित = आदर्श मानवीय मूल्यों को समर्पित जीवन चरित्र / आचरण व व्यवहार
मानस = हृदय / मनुष्य/ मानुष

~ इसमें राम को व्यक्ति यानि कर्ता माना जाये तो-

“” राम का आदर्श मानवीय मूल्यों को समर्पित जीवन चरित्र। “”

~ उसके बाद मानस के अर्थ को जोड़ा नहीं जा सकता।

~ यदि राम को गुण माना जाये तो सन्धि विच्छेद द्वारा अर्थ, सही वाक्य प्रस्तुत नहीं करता।

★ परन्तु हमारे द्वारा व्यक्त की गई व्याख्या सही प्रतीत होती है। ★

सन्धि विच्छेद द्वारा
मा + न + स = मानस

मा = मातृत्व भाव के साथ “” सृजन “”
न = न्याय के साथ निर्बाध , निर्विरोध व निरन्तर “” भरण पोषण “” 【 दायित्वों का निर्वहन 】
स = संचालन में सर्वव्यापकता के साथ सर्वकल्याण व “” संहार “”

“” मातृत्व के साथ सृजन , न्याय के साथ 【 निर्बाध , निर्विरोध व निरन्तर 】 भरण पोषण 【 दायित्वों का निर्वहन 】 व संचालन में सर्वव्यापकता के साथ सर्वकल्याण व संहार का अंतर्निहित गुण का धारणकर्ता ही “” मानस “” कहलाता है। “””

दूसरे अर्थों में –
मा + न + स = मानस

मा = मृत्युंजय होने पर भी मार्मिक हो
न = नित्य, निर्विकार व निर्विवाद होने पर भी न्यायशील हो
स = स्वर्णिम प्रकाशयुक्त होने पर भी सहनशील हो

“” जिसमें मार्मिकता, न्यायशीलता व सहनशीलता के गुण विद्यमान हो वह मानस कहलाता है। “”

तीसरे अर्थों में –
मा + न + स = मानस

म = महाशक्ति
अ = अद्वितीय अधिपति
न = नकारात्मक
स = सकारात्मक

“” जो नकारात्मक व सकारात्मक महाशक्ति का अद्वितीय अधिपति हो तो वही मानस कहलाता है। “”

~ यानि राम एक कर्ता के रूप में –
“” राम का जीवन चरित्र मानस [ उपरोक्त दी गई मानस की परिभाषा ] को सर्मपित । “”

~ यानि स्पष्ट अर्थों में –
“” राम मानस के अनुयायी, उपासक या भक्त ही थे। “”

~ आदि शंकराचार्य ने भी शिव मानस पूजा की चर्चा की है। –
“” मानस का शिव भी ध्यान लगाते हैं। “”

~ वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा ने अपने मन से १० पुत्रों को जन्म दिया जिन्हें मानसपुत्र कहा जाता है। भागवत पुरान के अनुसार ये मानसपुत्र ये हैं- अत्रि, अंगरिस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ, दक्ष, और नारद हैं।
यहाँ भी मन में अधिष्ठाता मानस ही तो है। ~

यानि  “” ब्रह्मा , राम 【 विष्णु 】 व शिव 【 महेश 】 सब जिस निराकार, निर्गुण, नित्य, स्वंयम्भू, सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान का ध्यान करते हैं वह “” मानस “” ही है। “”

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

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Devender
Devender
8 months ago

nice 👍 post

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
8 months ago

बेहद सुन्दर व्याख्या

Sanjay Nimiwal
Sanjay
8 months ago

मन, आत्मा,आध्यात्मिक विचार, दिल, बुद्धि, इच्छा, उत्साह के साथ कार्य करने वाला व्यक्तित्व

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