Saturday, March 25, 2023

“” झुझती जिंदगी और जीतता हौंसला “”

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“” Struggle Courage and Win the Life “”
“” झुझती जिंदगी और जीतता हौंसला “”

शेर कहने का सरूर है ,
बेशक शायर नहीं हैं हम ;

मानस दाद देनी तो नहीं बनती ,
पर आपकी इनायत व दरियादिली के लायक तो हैं ही हम ;

शिकार में बाजों की रफ़्तार को ,
खुले आसमां में उड़ते हुये भी देखते हैं हम ;

कहीं आँधियों में घोसलों की तलाश ,
उस पर हौसलों से उड़ती चिड़िया के टूटे पंखों में भी जान को भी देखते हैं हम ;

बवंडर में झोपड़ों को उखड़ते ,
बिल्डिंगों को ढहते भी देखते हैं हम ;

फिर मांझी की पार लगाने की ज़िद के आगे ,
तूफानों को भी पस्त होते देखते हैं हम ;

रोज़ी की आस में उजड़ती बस्ती ,
उस पर गरीबों की पथरायी आँखों में टूटती उम्मीदों को भी देखते हैं हम ;

फिर एक अहिंसात्मक सत्याग्रह के आगे ,
झुकती जिद्दी सरकारों व बिखरते तानाशाहों का हश्र को भी देखते हैं हम।

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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ONKAR MAL Pareek
Member
9 months ago

ख़त में उभर रही है तस्वीर धीरे धीरे

गुम होती जा रही है तहरीर धीरे धीरे

एहसास तुझ को होगा ज़िंदाँ का रफ़्ता-रफ़्ता

तुझ पर खुलेगी तेरी ज़ंजीर धीरे धीरे

मुझ से ही काम मेरे टलते चले गए हैं

होती चली गई है ताख़ीर धीरे धीरे

तक़दीर रंग अपना दिखला रही है पल पल

बे-रंग हो चली है तदबीर धीरे धीरे

आँखों में एक आँसू भी अब नहीं बचा है

हम ने लुटा दी सारी जागीर धीरे धीरे

देखा है जब से उस को लगता है जैसे दिल में

पैवस्त हो रहा है इक तीर धीरे धीरे

आसाँ नहीं था ग़म को लफ़्ज़ों में जज़्ब करना

आई मिरे सुख़न में तासीर धीरे धीरे

Mahesh Soni
Mahesh Soni
1 month ago

जो जुबान से जवाब दें, वह हम नही!
जो जज्बात से बात करें, वह हम नही!
खुदा की बनाई हुई कोई नायाब चीज़ हम नहीं!
किस्मतों की किताब तुम पढ़ते हो, हम नहीं!
जिंदगी जीना है हमें, मोहताज किसी के हम नहीं!

महेश सोनी

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