Friday, March 31, 2023

“” इश्क़ की हदें या प्यार में समर्पण “”

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“” Limits of Love or Surrender in Tenderness “”
“” इश्क़ की हदें या प्यार में समर्पण “”

बन्दा परवर तू जब जो करे ,
अजीबोगरीब ही इंसाफ की मांग करे ;

जो करे ख़िलाफ़त तेरे वजूद की,
वो भी तेरे इंसाफ की इमदाद करे ;

दर्द ऐ दिल देने वाले भी ,
जहां उसके दर्द के दवा की खुदा से अर्ज करे ;

पर जिसने पाया दर्द भी भरपूर ,
वो भी खून ऐ ज़िगर होने की हसरत करे ;

कत्ल करने वाला ही जहां ,
उसके लम्बी उम्र जीने की दुआ करे ;

पर कत्ल होने का दर्द झेलने वाला ,
क़ातिल के सहीसलामत होने की वकालत भी करे ;

सजा देने वाला जहां ,
उसकी पीड़ कम होने की मन्नत भरे ;

पर सजा पाने वाला ,
इनायत है जो उनकी सजा देकर भी हम पर अहसान करे ;

दगा देने वाला भी जहां ,
उससे फिर वफ़ा की उम्मीद करे ;

पर दगा पाने वाला, 
गुनाहगार न कहे उसको हर तरफ़ उसकी हिमायत ही करे ;

रुसवा करने वाला भी जहां ,
दिल्लगी मिले उसकी ऐसी इल्तजा करे ;

पर रुसवाई जिसे मिली ,
वो भी दिल न टूटे उसका हर मंदिर मस्जिद में सजदा करे ;

“” मानस इश्क़ के जनून में इंशा ये सब करे ,
वरना इंशा रब से चाहे दूसरे इन्शा सिर्फ उसकी हाज़री भरे ; “”

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
9 months ago

बहुत खूब

Mohan Lal
Mohan
9 months ago

बहुत सुंदर

Sanjay Nimiwal
Sanjay
9 months ago

जब होना होता है हो के रहता है,

ये इश्क है जनाब इस पर किसका जोर चलता है…

Sarla Jangir
Sarla jangir
9 months ago

प्यार में समर्पण चाहे व्यक्ति विशेष के प्रति हो या ईश्वर के प्रति । उसमें स्वयं का अस्तित्व ना के बराबर होता है। जब मानव अपने अस्तित्व को दूसरे में समर्पण कर देता है ,तो उसमें काम ,क्रोध, मद ,लोभ जैसे विषय वासनाओं के भाव खत्म हो जाते हैं ,और यही प्यार है ।

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