The law of creation or rely on Hard Work itself
“” सृष्टि का नियम या फिर खुद मेहनत पर भरोसा “”
क्या करने का सोचा था कभी,
अब क्या अजब सा कर चला हूँ ;
चढ़ना था जब ऊपर पहाड़ पर,
घाटियों की खूबसूरती में ही कहीं खो चला हूँ ;
ढेरों काम के ताने बाने बुने थे हमने,
बड़ी अजीबोगरीब कश्मकश अब मैं फंस चला हूँ ;
मानो मकड़ी ने जाल बुना था कभी,
किसी तरह मैं भी उसी में उलझ चुका हूँ ;
सफलता के दरवाजे खोलने में बहुत यत्न किये थे जो हमने,
हर प्रयत्न में जी तोड़ संघर्ष भी अब कर चला हूँ ;
धोखा दिया जो मुकद्दर ने हर बार की तरह,
किस्मत से फिर भी दो दो हाथ कर चला हूँ ;
जनूँ ने फिर से झोंक दिया मेहनत की भट्टी में हमको,
अब कामयाबी से ज्यादा दूर भी भला कहाँ रह चला हूँ ;
कठिन डगर है जरूर मंजिल की ,
भरोसा है मुझे जो अथक प्रयासों के बल पर, मुझे अकेले ही निकल पड़ा हूँ ;
सारी उम्र ही गुजार दी संघर्ष के मैदान पर हमने जो,
अब कुछ पल संजोए यारों संग बैठ ही चला हूँ ;
निश्चित ही जीत एक दिन मिलेगी जरूर हमको,
सृष्टि नियम के साथ अब सिर्फ खुद पर ही जो भरोसा कर चला हूँ ।
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति
आभार
लाजवाब रचना
श्रीयुत मानस जी,
आपकी रचनाएं पढ़कर
संबल और हिम्मत मिलती है ।।👍👍🙏🙏💐💐
हौंसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार।
जीवन एक संघर्ष है,
परन्तु धैर्य और साहस जैसे गुणों के साथ..
इसे एक महान यात्रा में बदला जा सकता है ।।।
GO AHEAD
AND
KEEP IT UP
really amazing thoughts