The Lessons of Bird
“” पँछी की सीख “”
पँछी ने डाली से जो, आदतन उन्मुक्त उड़ान भरी ,
मानो किसी की खींच से, हवा में जैसे पतंग उड़ी ;
देख नजारा मुझको भी, थोड़ी जलन सी होने लगी ,
पँछी ने मंडेरी से ये तमाशा देख, इस बार मुझ संग फिर से उड़ान भरी ;
कल – कल बहती नदियों के, ऊपर से अब मैं उड़ान भरूँ ,
जंगल की खूबसूरती का आनन्द ले व बागों के फल का स्वाद भी चखूँ ;
पँछी से अब नया रिश्ता, मैं जो बनाने चला ,
पंछी ने कहा मैंने उड़ना तो सिखाया है तुझे, कुछ अब दुनियादारी भी बता दूँ ;
पुश्तों की छोड़ प्रकृति पर भरोसा कर, घर परिवार के संग दीन हीन के मदद की भी करो तैयारी ,
किसी कमजोर की कैद जो घर ऑंगन का श्रृंगार बने, ऐसी ना छाये खुमारी ;
निशानेबाजी बने जो मासूम के प्राण संकट, न हो ऐसी कभी बेकरारी ,
प्रकृति सरंक्षण का संकल्प ही आधार बने निश्चल व करुणायुक्त समर्पण, फिर होगी यारी ईश्वर संग हमारी ;
पँछी संग उड़ते समय जीवन का असली मतलब समझ, जो सन्त प्रवृत्ति को अपनाया ,
मुख्लिस व मुजलूमों का दर्द भी लगता है, अब अंतर्मन में ही समाया ;
जात पात व ऊँच नीच छोड़, सर्वधर्म समभाव को ही अपनाया ,
अब किसी के उड़ने की जलन नहीं, जो खुद को प्रकृति समर्पित जब पाया ;
आपका – शुभचिंतक
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – दूसरे के जीवन में आनंद व स्वावलंबन की नींव रखने हेतू प्रयासरत रहना।
बुलन्दी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र करो…
परिन्दे बताते है कि आसमान में ठिकाने नहीं होते ।।।
बहुत खूब
इन पंछियों से तो जीवन में बहुत सीख सकते है । जैसे प्रकृति प्रेम , निश्चल भाव , सिर्फ आज की फिक्र न की पीढ़ियों की , स्वछंद विचरण , खुले विचार खुली सोच , नेक नीयत ……..पर जब अपने असली रूप यही इंसानी फितरत की बात आती है तो हम किसी को कुछ नही समझ कर सिर्फ अपना लालच और फायदा देखते हुए कुछ भी कर सकते है किसी भी हद को पार कर सकते है । ये प्रकृति तो हमे बहुत समझाने की कोशिश करती है परन्तु ” हम हैं की मानते नहीं “
Only one way to know whole world.
We should do love all things and person.
My dear your opinion is right.
मोह को त्याग सिर्फ निश्छल प्रेम करना सीखना होगा।
nice thought 👍