Umang ki Paribhasha / उमंग एक पँख या जनून
उमंग जब पंखों के सहारे उड़ान भर लेती है ,
पहाड़ सी विकट परिस्थिति भी कंकर दिखने लगती है ;
जनूँ भी हौशले से आगे बढ़ता है इस तरह जो ,
गगनचुंबी इमारत भी छोटी सी कुटिया नजर आती है ;
कुछ कर गुजरने का जज्बा भी अब उफान लेता है ,
बढ़ती असमानता की खाई को तभी हंसी हंसी में पाट भी लेता है ;
ये जादू कहिये या दौर उन क्षणों का ,
एक कशिश भी सन्नाटे में तूफानी कारनामा नजर आता है ;
उमंग में “उ” से ऊर्जा ,
यानि उत्सर्जित सकारात्मक ऊर्जा जीवन को शुद्ध बनाती है ;
“”म”” से मचलना भी हुआ ,
मचलता जोश असम्भव कुछ नहीं है जो करके भी दिखाता है ;
“”ग”” से गगन पर मंजिल जो बनी ,
आसमान छूने का दम्भ हर किसी के श्रम में ही छिपा होता है ;फिर सपनों की मंजिल का अरमां तभी पूरा होता है ,
जहां मानस “” मचलती सकारात्मक ऊर्जा को गगन की सीढ़ी “” बना लेता है , वही तो उमंग कहलाती है। “”
मानसमानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
बहुत ही बढ़िया वाक्य गुरु जी
So really nice and realistic view
“उमंग” की परिभाषा बहुत ही सटीक जोशपूर्ण ओर नपे तुले शब्दो द्वारा की गई है जो की बहुत ही सराहनीय है / शब्दो का चयन भी उचित तरीके से हुआ है/
बहुत बहुत आभार