Tuesday, March 21, 2023

“” अनकही प्यास “”

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“” अनकही प्यास “”

इक दिल में हूक उठी,
लगा मुझे भी कुछ कहना है ;
ऐसी बात न थी जो रही अनकही अब तक,
फिर लगा कि बस दर्द ऐ दिल को तो यूँ ही बहते रहना है ;

इक हुक उठी फिर से जागा मैं,
लगा मुझे अब जी भर कर रोना है ;
बहा दिये आँसू कुछ पलों में,
बह न जाये वो आँसुओं में फिर लगा अभी तो सिर्फ काजल को ही पोंछ लेना है ;

एक कसक मन में रह गयी,
लगा इश्क़ जताने के दस्तूर अब मुझे नहीं आना है ;
जगा लिये थे हमने अरमानों के पल उनके जो उनके साथ के,
फिर लगा बहुत देर कर दी हमने बस जाये नजर में प्यार हमारा अब उनकी मूर्त को ही दिल के मंदिर में बसाना है।

Manas Jilay Singh 【 Realistic Thinker 】
Follower – Manas Panth
Purpose – To discharge its role in the promotion of education, equality and self-reliance in social.

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Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
11 months ago

बहुतसुन्दर

Sanjay Nimiwal
Sanjay
11 months ago

Untold Thirst…..

एकतरफ़ा अरमान जगा लिये थे उनके साथ,

पर ऐसा किसी के साथ ना हो ।।।।

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Nice 🥰

Jitu Nayak
Member
11 months ago

Ok

Devender
Devender
10 months ago

nice 👍

Garima Singh
Garima Singh
10 months ago

अनबुझी आग और अनकही प्यास,

बस दिल के कोने में सिमट कर रह गई उनके मिल जाने की आस |

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