Tuesday, March 21, 2023

“” जिंदादिली के आगे झुकती चुनोती “”

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A helpless Challenge in front of Vivacity
“” जिंदादिली के आगे झुकती चुनोती “

शेर कहने का सरूर तो है, बेशक शायर नहीं हैं हम ;
दाद देनी तो नहीं बनती पर, आपकी इनायत व दरियादिली के लायक तो हैं हम ;

बाजों को रफ़्तार से उड़ते खुले आसमां में, तो कभी शेर को भी शिकार में पिछड़ते हुए भी देखते हैं हम ,
कहीं आँधियों में घोसलों की तलाश, उस पर हौसलों से उड़ती चिड़िया के टूटे पंखों में जान को भी देखते हैं हम ;

बवंडर में झोपड़ों को उखड़ते व बिल्डिंगों को ढहते भी देखते हैं हम ,
तो फिर कहीं मांझी की कश्ती को पार लगाने की ज़िद के आगे, तूफानों को पस्त होते हुए भी देखते हैं हम ;

रोज़ी की आस में उजड़ती बस्ती, उस पर पथरायी आँखों में टूटती उम्मीदों को भी देखते हैं हम ;
फिर एक दिन अहिंसात्मक सत्याग्रह के आगे, तानाशाही व जिद्दी सरकारों को झुकते हुए भी देखते हैं हम।

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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Devender
Devender
10 months ago

गजब

ravi soni
Member
10 months ago

hellooooooo

Sanjay Nimiwal
Sanjay
2 months ago

सुन्दर अभिव्यक्ति 🙏🙏

उम्र ढलने तक ही खूबसूरती की चर्चा होती है…

जिन्दादिली के चर्चे तो सदियों तक होते रहते है।।।

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