व्यस्त की परिभाषा / Vyast ka Arth
“” व्यस्त “”
“” निश्चित कार्य रूपरेखा की अधिकतम उत्पादकता हेतु जद्दोजहद ही व्यस्त दर्शाती है। “”
“” तय समय सीमा में ज्यादा परिणाम की आपाधापी ही प्राणी को व्यस्त बनाती है। “”
मानस के अंदाज में –
“” व् “” से “” वचनबद्धता या वरीयता “”
“” य “” से “” युक्ति युक्त या योजनायुक्त “”
“” स् “” से “” समय सीमा “”
“” त “” से “” तनातनी “”
“” वैसे वचनबद्धता या वरीयता को युक्ति युक्त व समय सीमा में करने की तनातनी ही व्यस्त को व्यक्त करती है। “”
“” कोई इंसान लम्बे समय तक व्यस्त नहीं रह सकता। “”
“” यदि फिर भी वह व्यस्त है तो उसका समय प्रबंधन, कार्यप्रबन्धन दोनों या किसी एक में कमी लाज़मी है,
नहीं फिर 【 आत्मकेंद्रित 】 यानि खुद पर दूसरों से ज्यादा भरोसा होता है। “” “”
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
So realistic
👍
सही लिखा है भाई साहब
Bahut shandar
सही कहा आप ने जीवन में हर इंसान ब्यस्त है और होना भी चाहिए
Right
शानदार ।।