Friday, March 31, 2023

“” चाहत तो कभी हकीकत “”

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“” Wish Sometimes Reality “”
“” चाहत तो कभी हकीकत “”

जिन्दा दिखने की चाह,
    दिल में रखी थी जरूर ;

कुछ कर गुजरने का,
जज़्बा भी था भरपूर ;

रास्ते पर जो निकला,
    अकेला होकर मजबूर ;

जीने के तरीके की आदत,
हमें बना रही थी मग़रूर ;

उड़ता रहा खुले आसमान में,
    वो भी जमीन की तलाश में चले गये थे बहुत दूर ;

नहीं मानी किसी की सरपरस्ती,
वो भी इस जहान में काबिलियत के नशे में चूर ;

एक आशियाना बनाने की चाह में,
खूबसूरत गुलिस्तां रहा हमेशा एक कदम दूर ;

जन्नत बनाने की जिद थी इस जहाँ में,
    खुली आँखों के सामने कारवां लुटता रहा व देखता चला गया हो कर मजबूर ;

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना में प्रकृति के नियमों को यथार्थ में प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध प्रयास करना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
10 months ago

Nice Thoughts 🙏

चाहत ही तो है जनाब …

जो हर किसी को जिंदा रखे हुए है।।।

Sarla Jangir
Sarla jangir
10 months ago

दुख के बाद सुख , घूंट के बाद छांव आती है। यही प्रकृति का नियम है ्।इसी तरह हर पीड़ा /दर्द को सहने की शक्ति भी हमें ईश्वर देता है , जो इस सृष्टि का कर्णधार है ।

Pawan Kumar
Member
9 months ago

Nice

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