Tuesday, September 30, 2025

Battle of Mahabharat / महाभारत का युद्ध

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Battle of Mahabharat / महाभारत का युद्ध

“” महाभारत का युद्ध —
दुर्योधन की महत्वाकांक्षा या
स्त्री जाति के दमन,दासता व शोषण में प्रकृति का रोष या
तीन महारथियों के अनैतिक मौन का परिणाम “” “””

★★★ भीष्मपितामह से सम्बंधित प्रसंग —

“” राजा शांतनु की कामवासना, लम्पटता के चलते उनके पुत्र देवव्रत को आजीवन ब्रह्मचर्य की भीष्म प्रतिज्ञा लेने पर मजबूर किया। “”

“” स्वयंवर को जीतने के उपरांत अंबिका व अम्बालिका का विवाह अपने भाई विचित्रवीर्य से करवाना तथा अम्बा का बदले के लिए तप और फिर देहत्याग व फिर शिखण्डनी के रूप में वरदान की प्राप्ति। “”

“” अंधे राजा धृतराष्ट्र से गंधारी के विवाह के सूत्रधार गंगापुत्र भीष्म ही थे। इस अपमान के बदले की आग से हस्तिनापुर के विध्वंस लिखने को शकुनि की छल नीति भी कहा जाता है।””

★★★ गुरु द्रोणाचार्य के सम्बंधित प्रसंग –

“” गुरु द्रोणाचार्य का निज अपमान का प्रतिकार अपने पांडव शिष्यों से गुरुदक्षिणा के रूप में पांचाल नरेश द्रुपद की आधी सम्पत्ति छीनकर व उन्हें बन्दी बनाकर किया। “””

★★★ दानवीर कर्ण के सम्बंधित प्रसंग –

“” अनजाने में शूद्र वर्ग से पीड़ा के चलते राजकुमार अर्जुन से सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की प्रतियोगिता मानो कब असूल व सिद्धांतों के बलि चढ़ा गई। “”

—— —— —— ——

“” द्रुपद कन्या द्रोपदी को स्वयंवर में धनुर्धर अर्जुन ने जीता । माता के वचनों की पूर्णता में द्रौपदी पांचाली में भी बदल गयी। द्यूत सभा में उसे दासी के रूप में हार भी दिया गया और रही कही कस्रर कौरवों ने भरे दरबार में निर्वस्त्र करने का प्रयास किया। इतने अधर्म में सभी शूरवीर निःशब्द बने रहे। “”

★★★ दुर्योधन का अति महत्वाकांक्षी , क्रूर व अधर्मी होने की असल वजह के साथ साथ महाभारत युद्ध के सूत्रधार का भी होना –

गंगा पुत्र भीष्मपितामह, गुरु द्रोणाचार्य व महारथी कर्ण का उनके पक्ष में अनैतिक मौन के साथ भी तटस्थ खड़े रहना रहा।

◆◆◆◆ इसीलिये कहता हूँ बुद्धिमान के मौन ज्यादा नुकसानदायीं है अपितु अन्य अलगाव, अराजकता या हिंसात्मक व्यवहार। ◆◆◆◆

मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक उत्पीड़न को व्यवहारिकता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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