“खैरात-एक भीख” | “उपकार का दूसरा नाम”
Meaning of Benefaction | Meaning of Donation | Meaning of Charity
“खैरात”
खैरात जब भी मिली और जिसे भी मिली,
खूबसूरती देखिए इस सौदे की देने वाला तो फिर दरियादिल कहलाया,
जिसे मिली उसका ज़मीर पहले मरा और फिर खुद पर ऐतबार बाद में,
आलम तो देखिये इंसानियत तो जीती ही रहनुमाई के इस अंदाजे बयाँ में;
खैरात – कुशलक्षेम के लिए बख्शीश या फिर मंगल कार्य के लिए भीख
मर्म दिल का कहूँ या फिर हाले ऐ दिल बयां को रहने दूँ,
कहूँ तो फिर अपनी बनाई दुनिया ही जला लूँ,
ना कहूँ तो घूट घूट के मर जाऊँ;
कभी प्यार मिला वो भी खैरात में जो फिर साँस ली वो भी खैरात में ही लूँ,
कर्म पर जो गरुर कर सकूँ वो भी मिला खैरात में तो फिर कैसे सीना तान के दंभ भरूँ;
जीवन के आखिरी पड़ाव में ज्ञान जो मिला लगता है वो भी मिला खैरात में,
श्री गुरुचरणों में दीक्षा की उम्मीद नहीं पर फिर भी लगता है कि वो भी मिलेगी खैरात में,
अब ऐसे में कैसे कहूँ नाज है इस जीवन में जो जी नहीं पाया एक पल बिना खैरात की हुई बरसात में;
जब रस नहीं हो पुरुषार्थ तो जीवन से कैसे प्रेम करूँ,
जब बचें हो ढ़ेर दायित्व निर्वाह तो कैसे मोक्ष पथ पर आगे बढ़ूँ|
चाहते हैं क्या हैं हजूर हम जो अपने आप से,
ख्वाबों ख्यालों में जिंदा रहें वो किसी के रहमोकरम से,
या फिर इक़बाल बुलंद रहे इस जमाने में खुदा के करम से,
नहीं तो गरूर ऐ वजूद भी बने अपने कर्म और बाजूओं के दम से ।।
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“खैरात-एक भीख” | “उपकार का दूसरा नाम”
“मुझे तराश दो, निखार दो और गढ़ दो जो चाहो ” बना दो ऐसा जिससे दुनिया में हर कोई प्यार करे|
“जीवन का दर्द | चाह जो कभी जाहिर ना का पाया उसे उड़ेल दिया चंद पंक्तियों में मेरे प्रिय गुरुवर के चरणों में”
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पंथ
शिष्य – डॉ औतार लाल मीणा
विद्यार्थी – शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग 【 JNVU, Jodhpur 】
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों को जगत के केंद्र में रखते हुऐ शिक्षा, समानता व स्वावलंबन का प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने का प्रयास।