पुरुषार्थ की परिभाषा | पुरुषार्थ का अर्थ
Meaning of Purusharth | Definition of Purusharth | Purusharth Ka Arth
| बहुमूल्य विचार | पुरुषार्थ का अर्थ |
मोक्ष पथ के जीवनोपयोगी सुझाव —
क्या मानवीय जीवन भोग विलास की पूर्ति का सिर्फ एक माध्यम है या फिर
अपने कर्म की सार्थकता की सिद्धि करने हेतु अदृश्य शक्ति से प्राप्त हुआ एक अनमोल मंच
या फिर मानवीय जीवन हेतु ऋषि मुनियों द्वारा बताये चार पुरुषार्थ को साधने या सार्थकता पुष्टि की राह
आज की मानसिकता के परिप्रेक्ष्य में पुरुषार्थ का अर्थ –
1. धर्म – आध्यात्मिक व धार्मिक प्रवृत्ति से जीवन यापन / अभ्युदय से निःश्रेयस तक पहुंच बनाना।
2. अर्थ – धन कमाना या अधिकाधिक सम्पत्ति अर्जित करना।
3. काम – दाम्पत्य सुख भोगना या सन्तानोत्पत्ति कर पितृ ऋण से मुक्ति पाना।
4. मोक्ष – आत्मा और परमात्मा के मिलन को असीम सुख व चरम आनंद अनुभूति से रूबरू होना या मनुष्य का ईश्वर द्वारा जन्म मरण से मुक्ति पाना।
मोक्ष पथ के परिप्रेक्ष्य में –
1 धर्म – नैसर्गिक गुणों को परिलक्षित करना । या यूँ कहें कि मानवीय मूल्यों को सरंचित, सरंक्षित व संचालित करते हुए जीवन यात्रा पूरी करना।
2. शिक्षा – ज्ञान की अभिवृद्धि हेतु प्रयासरत रहना।
3. स्वावलंबन – अपने व्यक्तित्व यानि वजूद को अपने पैरों पर खड़ा कर स्वतंत्र जीवन शैली की ओर उन्मुख होना।
4. मोक्ष – मनुष्य द्वारा निज अंतर्निहित गुणों का सम्पूर्ण मनोचित्त से उपयोग कर जीवन के लक्ष्यों को अर्जित करना।
इन चार पुरुषार्थ की प्राप्ति या सिद्धि में सहायक कुछ प्राकृतिक नियमों का सुझाव –
1. एक वृक्ष अपने हाथों से रोपण तथा उसका कीटनाशक, खाद से सरंक्षण व पानी द्वारा उसे नित्य संचित भी करना।
2. असहाय, निःशक्तजनों व लाचार प्राणित्व की निष्काम भाव से मदद उपलब्ध करवाना।
3. माता पिता को ईश्वर तुल्य मानते हुए प्रतिदिन दण्डवत प्रणाम करना।
4. जीवन में निश्छल भाव से दैनिक कार्यव्यवहार व व्यापार का संचालन करना।
5. जीवन में समानता का भाव जीवंत करते हुए शिक्षा के माध्यम से किसी भी एक प्राणी को स्वावलंबन के मार्ग पर प्रशस्त यानि अग्रसर करवाना।
“” धर्म, शिक्षा, स्वावलंबन व मोक्ष के लक्ष्य को चरितार्थ करते हुए जीवन के मानवीय मूल्यों की सार्थकता को सिद्ध करना ही पुरुषार्थ कहलाता है। “”
“” इन्हीं बहुमूल्य आयामों को संजोए मेरा व्यक्तित्व मेरे गुरुदेव प्रोसेसर औतार लाल मीणा के मार्गदर्शन में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के विचारों को जीवंत करने हेतु संघर्षरत रहूँगा। शिक्षा की बेहतर अवधारणा से समाज को लाभान्वित करने हेतु प्रयासरत रहूँगा। “”
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पुरुषार्थ की परिभाषा | पुरुषार्थ का अर्थ
मानस जिले सिंह 【 यथार्थवादी विचारक 】
शिष्य | छात्र – Ph.D. , विषय – मोक्ष पथ
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
मार्गदर्शक । गुरुदेव- प्रोसेसर औतार लाल मीणा
दर्शनशास्त्र विभाग, JNVU , जोधपुर