स्वीकार की परिभाषा | स्वीकार का अर्थ
Definition of Accept | Meaning of Assent | Svikar Ki Paribhasha
| स्वीकार |
“” परिस्थितियों के अनुकूल मनोदशा बनना ही स्वीकार कहलाता है। “”
“” वास्तविकता अनुरूप आचरण में ढलना ही स्वीकार कहलाता है। “”
“” हर तर्क को बहिष्कृत कर देना ही किसी महत्वपूर्ण के लिए स्वीकार कहलाता है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
वैसे “” स् “” से सहानुभूति
“” व “” से वरीयता
“” क “” से क्रम की अनुशंसा
“” र “” से रीझ
“” सहानुभूति की वरीयता के साथ क्रम की अनुशंसा में रीझ होना ही स्वीकार कहलाता है। “”
वैसे “” स् “” सहजता
“” व “” से वाजिब
“” क “” से क्रम प्रधानता
“” र “” से रति
“” सहजता जहां वाजिब हो और क्रम प्रधानता में रति हो तो वह स्वीकार कहलाता है। “”
सामान्य परिप्रेक्ष्य में –
“” साधारण में भी विशेष को अधिग्रहण करना भी स्वीकार है। “”
“” विशिष्टता को तरज़ीह देना भी तो स्वीकार है। “‘
—- “” झुंड में से भी प्राथमिकता का चुनाव ही स्वीकार कहलाता है। “” —-
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स्वीकार की परिभाषा | स्वीकार का अर्थ
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
बहुत खूब 🙏👌🙏
जिंदगी के हर लम्हे को स्वीकार करता हूं,,,
आज भी उन बिछुड़े हुए अपनों को बेहद प्यार करता हूं।।