Wednesday, November 20, 2024

Definition of Depressed | दलित का अर्थ

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दलित की परिभाषा | दलित का अर्थ
Definition of Depressed | Meaning of Depressed | Dalit Ka Arth

| दलित |

“” सामाजिक न्याय से उपेक्षित वर्ग जिसने अत्याचार, अपमान, अस्पृश्यता का दंश दूसरे श्रेष्ठ कहे जाने वाले वर्ग से झेला हो तो वह दलित कहलाता है। “”

“‘ शारीरिक , मानसिक और आर्थिक शोषण के उपरांत भी सामाजिक ताने बाने में हाशिये पर धकेले गये समुदाय को संवैधानिक अधिकारों में सरंक्षित करने की राजनैतिक व सामाजिक कवायद उन्हें दलित कहलवाती है। “”

वैसे “” द “” से दलगत समूह में दुर्दशा
“” ल “” से लाचारी
“” त “” से तिरस्कार

“” जिस दलगत समूह में दुर्दशा, लाचारी व तिरस्कार भरा जीवन हो तो वह दलित कहलाता है। “”

वैसे “” द “” से दबे हुये वर्ग में दरिद्रता
“” ल “” से लज्जा की लगाम दूसरों के हाथ
“” त “” से तुच्छता में भी तिरोभाव दृष्टिकोण

“” दबे हुये वर्ग में दरिद्रता, लज्जा की लगाम दूसरों के हाथ और तुच्छता में भी तिरोभाव दृष्टिकोण की स्वीकार्यता बनी हो तो वह दलित कहलाता है। “”

“” जिन जातियों को आरक्षण व विशेष सुविधाओं का लाभ प्रदान करने हेतु भारतीय संविधान द्वारा ‘अनुसूचित जाति और जनजाति’ वर्ग में रखा गया उस जाति समूह को दलित कहते हैं। “”

“” जातिगत उत्पीड़न, क्रूरता और छुआछूत से भरी दिनचर्या को भी अपमान का घूँट पिलवाकर ताकतवर वर्ग द्वारा बड़ी ही सहजता से उसके जीवन का हिस्सा मनवा लिया गया हो तो वही दलित कहलाता है। “”

“” जीते जागते अमानवीय कृत्यों को झेलती हुई अपने पर किये क्रूरता, अत्याचार और बर्बता को बयां करती पीढ़ी दर पीढ़ी की कर्कश व पथराई आँखें जब सामाजिक न्याय, समानता और सम्मान की उम्मीद रखती हैं तो आन्दोलित वर्ग की आवाज उसे दलित पुकारती हैं। “”

“” सब तरह के तिरस्कार को भी बर्दाश्त कर जिस वर्ग ने प्रतिफल में समर्पण, स्वामिभक्ति व सेवा का परिचय दिया हो ऐसी प्रेम, करूणा व शालीनता भरी प्रतिमूर्ति को दलित कहते हैं। “”

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दलित की परिभाषा | दलित का अर्थ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ , शिष्य – प्रोफेसर औतार लाल मीणा
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

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Sandeep KUMAR
Sandeep
30 days ago

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Dr. Sarla Jangir
Dr. Sarla Jangir
29 days ago

सब जन्मे एक बीज से, सबकी मिट्टी एक। 
मन में दुविधा पड गयी, हो गये रूप अनेक।।
                                                                                                                       कबीर

कबीर का यह दोहा मानवता के अर्थ को लिए हुए हैं लेकिन हमारे शास्त्रों में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख इस तरह किया गया है-
‘ब्राह्मणों असय मुखमासीत बाह राजन्य कृत

अरुन तदस्य यदू वैश्य पदभयां शुद्ध अजायते ।’

(ऋग्वेद: मण्डल 10, पुरुष सूक्त 190, ऋषिनारायण)

अर्थात — प्रजापति के मुख से ब्राह्मण, भुजा से क्षत्रिय, जांघ से वैश्य और तथा पैरों से क्षूद्र का उद्भव हुआ। -डॉ.सरला जागिड़

Dr.Vijeta
Dr.Vijeta
28 days ago

दलित वह है जो वह है जो ऊंच नीच के दलदल में फंसा हुआ
दलित वह हैजो भेदभाव छुआछूत के दलदल में धंसा हुआ है आज कुछ संवैधानिक अधिकारों की वजह से वह सामान्य जीवन जीने की कोशिश तो कर रहा है लेकिन जिसे बार-बार याद दिलाया जाए की वह क्या है और उसे क्या करना चाहिए वह दलित है
उच्च वर्ग माना जाने वाला हर हाल में सम्माननीयहै लेकिन जो वास्तव में सम्मान के योग्य है अपमान सहन कर अपना जीवन जी रहा है वह दलित है जिसे हर युग में नए-नए नाम दे दिए जाते हैं वह दलित है .

Radha Krishan
Member
27 days ago

प्रिय मानस बंधु, शाब्दिक दृष्टिगत दलित से संबंधित आपकी परिभाषाएं निःसंदेह सटीक है ,लेकिन मेरे विचार से इन टिप्पणियों और परिभाषाओं में प्राचीन भारतीय समाज के सामाजिक असमानता की झलक अधिक है ।वर्तमान में हमारे समाज में हरेक क्षेत्र में समाज के हर वर्ग को कमोबेश समान अधिकार ही है ।लेकिन एक कड़वा सच तथा गंभीर और विचारणीय पहलू यह भी है कि इस वर्ग में ही असमानता बढ़ती जा रही है क्योंकि इस वर्ग में जो लोग संवैधानिक प्रावधानों का लाभ उठा कर आगे चुके हैं,अब वही इस वर्ग के उत्थान में बाधा बन रहे है ।दलित वर्ग से ही एक संभ्रांत दलित वर्ग बन चुका है जो हर दृष्टि से समाज के बहुत सारे वर्गों से ऊपर है ।यह वर्ग नहीं चाहता कि वास्तविक दलित जो अभी तक निहायत दयनीय हालातों में अपना जीवन बिता रहे है वो भी संवैधानिक प्रावधानों का लाभ उठा कर आगे आये क्योंकि यह संभ्रांत दलित वर्ग आर्थिक सामाजिक दृष्टि से अब इतना सक्षम हो चुका है कि आरक्षण आदि सुविधाओं का लाभ सिर्फ़ इन्ही तक सीमित रह गया है ।वास्तविक वंचित और दलितों के बच्चे अब भी इतने सक्षम नहीं है कि वो अपने ही वर्ग में इस संभ्रांत दलित वर्ग से आर्थिक व शैक्षिक दृष्टि से मुकाबला कर सके ।

कोई मानस प्रिय इस विचार को अन्यथा न ले

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