सुख की परिभाषा | सुख का अर्थ
Definition of Happiness | Meaning of Pleasure | Sukh Ki Paribhasha
| सुख |
“” वस्तु विशेष या कार्य की प्रतिक्षा हेतु किये गये कष्ट का पारितोष ही सुख कहलाता है। “”
“” अंतर्मुखी व बहिर्मुखी व्यक्तित्व के सामंजस्य का परिणाम भी तो सुख ही है। “”
“” अपेक्षित परिणाम और उस पर शंकाओं का निर्मूल होना भी तो सुख ही है। “”
वैसे “” स “” से सारगर्भित
“” ख “” से ख्याल
“” सारगर्भित ख्याल भी तो सुख की शुरुआत है। “”
वैसे “” स “” से सब्ज़बाग
“” ख “” से खैरियत
“” सब्ज़बाग से खैरियत बनाये रखना भी तो सुख ही है। “”
“” इंद्रियों का संयमित हो सांसारिक जीवन का उपभोग भी तो सुख कहलाता है। “”
“” मानसिक प्रवृत्ति जब दोहरा चरित्र से विमुक्त हो सरलता, सहजता व स्पष्टता इख्तियार करती है तो वह सुख की नींव ही तो है। “”
“” सुख एक अंतर्मुखी एहसास से कभी कभी बहिर्मुखी भी नजर आता है,
सांसारिक जीवन में व्यक्ति बहिर्मुखी उल्लास के रूप ढूंढता है,
आध्यात्मिक प्राणी अंतर्मुखी एहसास को खोजता है,
बड़ी ही विडम्बना है संतत्व के लिए हर क्षण निर्मोह है। “”
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सुख की परिभाषा | सुख का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
बहुत खूब 🙏👌🙏
“सुख” सुबह जैसा होता है,,
“मांगने” पर नहीं….
“जागने” पर मिलता है ।।।