क्यों की परिभाषा | क्यों का अर्थ
Definition of Why | Meaning of Why | Kyon Ki Paribhasha
Principles of Self Determination
Second Step “” Why “”
आत्मनिर्णय | कार्यकारण सिद्धांत के पंचतत्व में द्वितीय पड़ाव
“” क्यों “” ही तो है।
“” क्यों “”
“” लक्ष्य साधने का अभिप्राय बिना क्यों के सम्भव ही नहीं। “”
“” परिणाम की परिणीति ध्येय की प्रगाढ़ता पर निर्भर करती है और वह बगैर क्यों के मुमकिन ही नहीं। ‘”
“” प्रयोजन का आधार स्तम्भ क्यों ही तो है। “”
वैसे मानस के अंदाज में –
“” क् “” से कार्यशैली जहां वैज्ञानिकता व तार्किकता के आधार पर गठित की जाती है,
वहाँ परिणाम सदैव फलदायी के साथ सकारात्मक ही निकलते हैं ;
“” य “” से योजना जहां किसी भी लक्ष्य को हासिल करने हेतु बनाई जाये तो,
वहाँ सिद्धि की प्राप्ति योजना के क्रियान्वयन पर ही निर्भर करती है ;
“” वैसे कार्य जहां योजना के अनुरूप हो वहाँ निर्धारक मूल तत्व क्यों ही तो है। “”
“” क्यों प्रश्न आशय / इरादे का प्रतिनिधित्व करता है। “”
“” क्यों वैसे हर फसाद की जड़ है फिर भी न जाने क्यों ही है जो कार्य को करने की वजह बताती है, यह जितनी बड़ी वजह होगी उतना ही बड़ा साहस, जज्बा व संघर्ष और उतना ही बड़ा पुरुस्कार मिलना तय हो जाता है। “”
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Shandar
sunder chintan