Tuesday, September 30, 2025

Happy New Year | नव वर्ष का स्वागत संदेश

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नव वर्ष का स्वागत संदेश | नव वर्ष का बधाई संदेश 
Happy New Year | Welcome New Year | New Year

| नव वर्ष का स्वागत संदेश | | मेरे प्रिय मित्र एवं पथप्रेरक |

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं के साथ साथ ढेर सारी उपलब्धियां आपकी झोली में ईश्वर आपको प्रदान करें यह मानस की दिली ख्वाहिश है।

नववर्ष का आगमन वैसे तो कोई नई बात नहीं है पर इसे खास बनाते हैं हमारे तय किये गये नये लक्ष्य या विचार या फिर नवसृजन को प्रेरित करती संकल्पशक्ति।

या फिर यूँ कहें कि ध्येय जो पूरा हो गया हो या फिर हासिल करने के प्रति संघर्षरत रहने के मादे में नवसंचार पैदा हुआ हो।

मानस का भी नव वर्ष पर मकसद कहें या फिर उसकी दृढ़ता या फिर समर्पण अब उसे अपने आप को समझने, जानने और तराशने के लिये गुरुदेव के सानिध्य और सरंक्षण में समर्पित करना ही होगा।

अब उसके जीवन का एकमात्र ध्येय है
“” दुःख से मुक्ति ही नहीं सुखों से भी निवृत्ति और परमानन्दस्वरूप की अनुभूति से भी विरक्ति चाहिए “”

यानि शून्य में विलीन होकर शून्य से भी विरक्ति दूसरे शब्दों किसी तरह कोई भी अधिशेष नहीं रखना।

यानि मोक्ष और केवल मोक्ष पथ

इसे थोड़ा सा सरल भाषा में समझा जाये तो

मोक्ष प्रचलित व्यावहारिक धर्म में अनासक्त रहते हुए दायित्व भाव की क्रियाशीलता पर जोर देता है। किन्तु
मानस की दृष्टि आसक्त से अनासक्त , अनासक्त से ईश्वरीय अनुभूति और अनुभूति से विरक्त हो जाना ही मोक्ष है।

मोक्ष किसी लक्ष्य 【 परमानन्द, ईश्वरीय प्रकाश, स्वर्गलोक 】 को नामित या नामकरण करते हुए आगे बढ़ते कदमों को लक्ष्यभेदन के उपरांत लक्ष्यविहीन यानि लक्ष्य के प्रति निर्लिप्तता हो जाना। सरल शब्दों में इहलौकिक और पारलौकिक इच्छा का मिट जाना ही मोक्ष की प्राप्ति है।

वैसे तो मोक्ष की प्राप्ति हेतु भारतीय दर्शन में तीन प्रमुख मार्ग बताये गये हैं। ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग वैसे मानस मोक्ष प्राप्ति हेतु सबसे सरल, स्पष्ट और सुगम सिर्फ एकमात्र रास्ता देखता है वो है “” प्रेम योग “”।

प्रेम ही स्वतंत्रता के साथ स्वाध्याय, स्वाधीनता और स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त करता है। प्रेम निश्छल, निश्चल और निःशब्द होते हुए भी निसंकोच, निःसन्देह और निरपेक्ष रहता है।
यह सार्वभौमिक, सर्वकालिक और सर्वमान्य सद्गुण है जो सर्वकल्याण व सर्वहित के लिए आवश्यक भी है और सदुपयोगी  भी |

आज के पावन अवसर पर मानस द्वारा इच्छित कर्म को गुरुचरणों में समर्पित करते हुए आपसे भी स्नेह, सानिध्य और संरक्षण की अभिलाषा भी रखता हूँ।

आपको नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं प्रदान करता हूँ। आपके जीवन के साथ साथ आपका हर कार्य भी मंगल हो । ढेर सारी खुशियाँ, उपलब्धियां और कीर्तिमान आपकी झोली में समाते चले जायें।

आओ मिलकर नव वर्ष का स्वागत अपनी दोनों बाहें फैलाकर पूरी निष्ठा व निश्चय के साथ मन, वचन और कर्म से सत्यनिष्ठ बनने का एक सुंदर व सार्थक प्रयास करें।

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नव वर्ष का स्वागत संदेश | नव वर्ष का बधाई संदेश

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण मेंप्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना

2 COMMENTS

  1. क्या हमें इसे कुछ आसान भाषा मे लिख सकते है?
    जैसे कि यू:
    नव वर्ष का स्वागत संदेश (सरल भाषा में)

    प्रिय मित्र,

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!
    ईश्वर से प्रार्थना है कि यह नया साल आपके जीवन में खुशियां, सफलता और नई उपलब्धियां लेकर आए।

    नया साल केवल कैलेंडर बदलने का नाम नहीं है। इसे खास बनाते हैं हमारे नए सपने, लक्ष्य और नई शुरुआत के लिए लिया गया संकल्प। यह एक ऐसा समय है, जब हम अपने बीते समय से सीख लेकर, खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं।

    इस साल का उद्देश्य है अपने भीतर सकारात्मक बदलाव लाना और जीवन को सही दिशा में ले जाना।

    मोक्ष का सरल अर्थ

    मोक्ष का अर्थ है सभी इच्छाओं से मुक्त होकर, जीवन के हर पहलू को शांति और संतुलन के साथ जीना। भारतीय दर्शन के अनुसार, मोक्ष पाने के कई रास्ते हैं, जैसे:

    ज्ञान (ज्ञानयोग)

    कर्म (कर्मयोग)

    भक्ति (भक्तियोग)

    लेकिन, मानस के अनुसार, मोक्ष का सबसे आसान और सुंदर मार्ग है प्रेम।
    सच्चा प्रेम स्वार्थ से परे होता है और हर किसी के लिए भलाई और सुख का मार्ग प्रशस्त करता है।

    नव वर्ष का संकल्प

    आइए, इस नव वर्ष पर संकल्प लें कि हम अपने मन, वचन और कर्म से सच्चाई और ईमानदारी के साथ जीवन जिएंगे। हम अपने गुरु, प्रियजनों और समाज के प्रति अपना प्रेम और समर्पण बनाए रखेंगे।

    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं। यह साल आपके जीवन में खुशियां, शांति और सफलता लेकर आए।

    आओ, मिलकर नए साल का स्वागत पूरे उत्साह और नई ऊर्जा के साथ करें!

  2. द्वापर में श्री कृष्ण ने अपने एक ही अवतार में दो चीजों की स्थापना की । गोकुल में बाल लीला करते हुए गोपियों के साथ प्रेम योग और कुरुक्षेत्र में कर्मयोग ।गोपियों का कृष्ण के प्रति प्रेम भी निश्चल और निर्विकार था। जहां पर उनकी सभी इच्छाओं का विराम था। इसीलिए श्री कृष्ण के मथुरा चले जाने पर भी गोपियों की स्थिति संयोग में वियोग की थी।
    आपने भी जीवन में कर्मयोग और व्यवहार में प्रेम योग को महत्व दिया। – प्रोफेसर सरला जांगिड़

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