नरक का अर्थ | नरक का दरवाजा
Meaning of Hell | Definition of Hell | Nark Ka Arth
| Hell |
“” नरक का दरवाजा “”
“” जहाँ सच और झूठ का अंतर बेमानी हो और इंसान अंतर्मन की कुंठा व पश्चाताप की अग्नि में धधकता रहे तो उसी माहौल को नरक कहते हैं। “”
वैसे “” न “” से “” नपा तुला “”
“” र “” से “” रहन सहन “”
“” क “” से “” कर्त्तव्यपरायणता “”
“” वैसे नपे तुले रहन सहन के साथ कर्त्तव्यपरायणता की बाध्यता ही नरक है। “‘
“” न “” से “” नृशंसता “”
“” र “” से “” रासलीला “”
“” क “” से “” कमीनापन “”
“” वैसे नृशंसता, रासलीला व कमीनेपन का गठजोड़ ही सर्वोपरि सुख प्राप्ति का मार्ग जान व मान लेने की मनोदशा ही नरक है। “‘
“” सुख जहाँ आत्मिक, आध्यात्मिक और अंतर्निहित गुणों के ही क्षय करने की प्रक्रिया में निरंतर उद्वेलित व अग्रसरित रहे तो वह वातावरण नरक कहलाता है। “”
आज अधिकतर प्राणी उसी अग्नि कुंड की आहुति बन चुके हैं बस कइयों के शरीर भस्माभूत हो चुके हैं तो कईयों के शरीर अभी भी मिट्टी में विलीन होने बाकी हैं। यह क्रम निरन्तर, निर्बाध और निष्कंटक रूप से चल रहा और तीव्र गति से आगे बढ़ता ही रहेगा।
“” मेरी स्वानुभूति – आगे बढ़ने का सीधा मतलब जीवन की अर्द्धांगिनी, बच्चे, माता पिता समेत पूरे परिवार को दुःख व तकलीफ की खाई में धकेलना और नहीं बढ़ता हूँ तो जीवन भर कुढ़ कुढ़ के हर पल मरना। हासिल कुछ भी नहीं कर पाऊंगा पर खोने को सारा हरा भरा संसार है।
वैसे भी आज तक सियाय दर्द, पीड़ा और अपमान के अपने परिवार को कुछ दे नहीं पाया हूँ विशेषकर अपनी अर्द्धांगिनी को।
शायद नियति ने मुझको भी इसी क्रम में लाकर खड़ा कर दिया है।
जहां सारे संसार के कर्म व उनकी चेतना शक्ति बहुत से खण्डों में बंटी हुई है और सही और गलत के पैमाने भी निरर्थक व गौण प्रतीत होने लगे हैं। ऐसे में मेरे दर्शन का सफर बस एक दुस्वप्न या एक भद्दे मज़ाक में ही बदलता प्रतीत होने लगा है। “”
ईश्वर द्वारा तार्किक, संवेदनशील व चैतन्यतायुक्त चिंतन का मार्ग ही मनुष्य को दर्शन के लिए उपलब्ध करवाया है। जहाँ प्रीति के केंद्र में कोई एक व्यक्ति, परिवार और समाज नहीं रहता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व समुदाय के सात्विक परिवृत्ति के लोग आते हैं।
चूँकि प्रेम स्वतंत्रता के साथ बंधन मुक्त आचरण भी प्रदान करता है। किसी भी तरह की बाध्यता इसमें सबसे बड़ा अतिक्रमण है।
ऐसे में मानवीय जीवन में ढेर सारे सवाल आते हैं जिन्हें मैं जल्द ही आपके समक्ष शेष प्रस्तुत करूँगा……
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नरक का अर्थ | नरक का दरवाजा
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
सटीक व्याख्या 🙏
ईश्वर ने इंसान को धरती पर भेज कर स्वर्ग की चाबी दी,,
पर अफसोस…..
उसी चाबी से नरक के दरवाजे भी खुलते हैं।।।