Thursday, November 21, 2024

Meaning of Jaisi Sangat Vaisi hi Rangat | जैसी संगत वैसी ही रंगत की परिभाषा

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Meaning of Jaisi Sangat Vaisi hi Rangat | जैसी संगत वैसी ही रंगत की परिभाषा
“” जैसी संगत वैसी ही रंगत “” कहें या
“” बुद्धिमान संगत से ही शायर “” या फिर
“” प्राणी की प्रवृत्ति, सोच व परिस्थितिवश लक्ष्य के निर्धारण व उसके प्रति उत्साह व समर्पण व्यक्तित्व का निर्माण रचते हैं। “”
“” साथ रहने के साथ – साथ एक दूसरे के आचार विचार को सहमति प्रदान करना ही संगत है। “”
“” वह आदतन प्रक्रिया जहां मूक रूप से अपने साथी के कार्य व्यवहार का समर्थन होता है वह संगत है। “”
“” ज्यादातर समय साथ बिताने के साथ – साथ चाल चलन की भी स्वीकार्यता जहां रहती है वह संगत है। “”
“” किसी ने सच ही कहा है कि तुम अपने सिर्फ मित्र बताओ, तुम्हारा चरित्र मैं बताऊँगा। “”
—- हर बार ऐसा हो जरूरी नहीं —-
★★★ “” संक्षेप में बस अपने ईद गिर्द का घेरा व उसके उपजी परिस्थिति ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण में सहायक सिद्ध होती है ।””
“” क्योंकि हिरण्यकश्यप के घर प्रहलाद के भक्ति मय, करुणामयी व्यक्तित्व निर्माण होना,
“” कैकसी व ऋषि विश्वश्रवा के यहाँ रावण व कुम्भकरण के बीच भी सदाचारी व सत्य अनुरागी विभीषण के व्यक्तित्व का निर्माण होना “”
“” यदुवंशीय राजा उग्रसेन व माता पवन रेखा के यहाँ क्रूर व अत्याचारी कंस की राक्षसी प्रवृत्ति का बढ़ना “”
“” ऋषि कश्यप और माता दिति के दो पुत्रों हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष की राक्षसी प्रवृत्ति का सिर चढ़कर बोलना। “” ★★★
★★★ “” ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र जामदग्न्य का परिस्थितिवश 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करना । उसके उपरांत भी भगवान परशुराम कहलवाना “”
“” सम्राट अशोक द्वारा कलिंग युद्ध में विजय उपरांत रक्तपात व हृदयविदारक घटना से क्षुब्ध होकर अहिंसा के मार्ग पर बौद्ध धर्म का अनुयायी व प्रचारक बनना “” ★★★
Meaning of Jaisi Sangat Vaisi hi Rangat | जैसी संगत वैसी ही रंगत की परिभाषा
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।

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Manas Shailja
Member
2 years ago

so nice

Sanjay Nimiwal
Sanjay
1 year ago

🙏👌🙏

लोग कहते हैं कि हो जाता है संगत का असर,,,

पर मैंने आज तक कांटो को महकते हुए नहीं देखा।।।

Sarla Jangir
सरला जांगिड़
1 year ago

यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं
समुद्र में गहराई ,हवा में नमी ;
जल में जीवन, पर्वत की ऊंचाई ;
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

अग्नि में तपन, नदियों में कल-कल की ध्वनि ;
सूर्य में अगन, चंद्रमा की चांदनी ;
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

धरती का धैर्य ,आकाश की विशालता ;
फूलों में सुगंध ,पेड़ों की शरण में सुकूनता ;
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

भक्ति में भाव, अन्न में तृप्ति ;
शहीदों पर जयमाल, देशभक्ति के प्रति लगाव ;
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

जीवन में विश्वास ,दिल में आशा का संचार ;
प्रकृति का परिवर्तन ,मानस जीवन में जन्म और मरण ;
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

जीवो में मानव सर्वोत्तम होना, रसों में करुण रस पान,
मानस में क्षमा दान महादान, तपों में योग महान ,
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं ;

व्यवहार में शालीनता, शिक्षा से ज्ञान में श्रेष्ठता,
संस्कार युक्त जीवन, भाव के साथ भाषा मिलन,
यह सब सत्य है कोई कल्पना नहीं |- प्रोफेसर सरला जांगिड़

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