धर्म में निरन्तर बढ़ती कट्टरपंथी सोच | धर्म में कट्टरपंथी सोच
Meaning from fanatic | Definition from Zealot | Dharma Me Kattarpanthi Soch
धर्म में निरन्तर बढ़ती कट्टरपंथी सोच
“” धर्म में निरन्तर बढ़ती कट्टरपंथी सोच “” या
“” करूणा, उदारता व सद्भावना की जगह पनपती असहिष्णुता “” या फिर
“” उग्र प्रदर्शन व ज्वलंत उदाहरणों के सहारे अपने असूलों की रक्षा की कोशिश में बनती अमानवीय हिंसात्मक छवि “”
★★★ “” मानस का उद्देश्य किसी भी धर्म, पँथ ,सम्प्रदाय की धार्मिक मान्यताओं या भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं अपितु भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरु नानकदेव , सन्त शिरडी साईंनाथ, महान ऋषियों व महात्माओं की धरती पर मानवता को कलंकित व शर्मसार करती घटनाओं की व्यथा को आप सब से साझा करना है। “”” ★★★
जहां एक तरह किट , पतंगे मुँह ना प्रवेश कर पाये इसलिए हम मुख पर पट्टी भी बांध लेते हैं,
कोई जीव हमारे पैरों से ना कुचला जाये तो हम कंटीली धरा पर भी नन्गे पाँव से सफ़र तक करते हैं,
हमारी शरीर की शुद्धि के व्रत तो आत्मा की पवित्रता के लिए आत्मबोध व अध्यात्म का मार्ग भी अपनाते हैं,
भूखे को भोजन, नन्गे पैर वालों को जूते व जूते साफ ना हो तो पॉलिश भी करते हैं तो क्या
उन अनैतिक, गैरजिम्मेदार या बेअदबी करने वाले कुकर्मी को हम जीवन का क्षमा दान देकर उनके मन पर जमे मैल या गन्दगी को साफ़ नहीं कर सकते।
★★★ पीर फकीर या फिर मुनि सन्त विकारों को दूर करने की बात करते थे ,
यहाँ तक कि महात्मा गांधी ने भी गत वर्षों में ही हमें फिर अहिंसा का पाठ पढ़ाया। “” ★★★
“” मेरा उद्देश्य किसी के गुनाहों पर पर्दा डालना नहीं अपितु सन्तों, गुरूओं व आराध्यों के प्रति सच्ची श्रद्धा, समर्पण व अनुसरण की महत्ता को याद करवाना / समक्ष रखना ही है। “”
★★★ “” हिंसा, निर्दयता व क्रूरता नहीं प्रेम, करूणा, अहिंसा की प्रतिमूर्ति हो सच्चे अनुयायी बने। “” ★★★
आम धारणाओं व मिथकों को तोड़ते हुए निडरतापूर्वक तार्किक व्याख्या,
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