Meaning of Philosophy | Darshan Ki Paribhasha | Darshan Ka Arth
दर्शन की परिभाषा | दर्शन का अर्थ
“” दर्शन “”
जब जब लीक से हटकर जीवन को नये ढंग से सोचा जाता है ,
कुछ के नजर में शोधकर्ता तो किसी नजर में वह मुजरिम हो जाता है ;
जब-जब लोहा लिया औऱ छोड़ी अमिट छाप उस विचार ने ,
तो दुनिया की नजर में वह “” दर्शन “” कहलाता है ;
वैसे दर्शन में “”द”” से दूरदर्शिता जहां मूलतत्व को जानने की खोज में लगी रहती हो ,
वहां दरबदर होकर हर अक्ष को दर्पण से गुजरना होता है ;
“”र”” से रास्ता जहां खोज करने के लिये ही दिमाग खुला हो ,
वहां नवविचारों को पनपने व जानने की स्वतंत्रतता व जिज्ञासा बनी रहती है ;
“”श”” से शास्त्रार्थ जहां संस्कृति की परंपरा रही हो ,
वहां जीवन के हर पहलू को सँवारने की संकल्पना भी बनी रहती है ;
“”न”” से निर्बाध रूप से जहां एक मंच पर विचार विमर्श हो ,
वहां किसी एक व्यक्ति की भी विचारधारा के आगमन का भी सम्मान होता है ;
अंतिम सत्य को जानने का अथक प्रयास जहां जब – जब चलता है ,
पद्धति द्वारा फिर उसे लेखनीबद्ध कर एक नया नाम दिया जाता है ;
“” दूरदर्शिता के रास्ते पर शास्त्रार्थ जहां निर्बाध रूप से मूलतत्त्व की खोज में हो ,
वहां नवविचारों का संकलन ही “”दर्शन“” कहलाता है। “”
“” जीवनशैली के अनुसरण, अनुगम्य व व्यवहारिक होने का गुण ही उसकी व्यापकता को दर्शाता है। “”
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दर्शन की परिभाषा | दर्शन का अर्थ
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
बहुत अच्छा वर्णन है …..
दर्शन ….
मन की सुन्दरता केवल मन से सुन्दर व्यक्तित्व ही देख पाता है।