Bestiality Rape | Rape is an Atrocity
पाशविक प्रवृत्ति की पराकाष्ठा | बलात्कार एक क्रूरता
“” कलकत्ता में डॉ बेटी से दरिंदगी के साथ बलात्कार के बाद नृशंस हत्या “” या फिर “” पाशविक प्रवृत्ति की पराकाष्ठा “”
खून के आँसूओं के दर्द को बयाँ करती एक कलम –
” बलात्कार यानि बलपूर्वक किया गया कुकृत्य ” या फिर “” अस्मत को तार तार कर पाशविक क्रूरता से आत्मग्लानि भरी घिन्नता के साथ दिया गया घाव “” या फिर “” पैरों तले रौंदे गये आत्मसम्मान की विध्वस्त सूरत “” या फिर “” निर्लज्जता, निर्ममता और नीचता की परिणति को झेलती हुई अबला “” और न जाने कितनी ही संज्ञायें दी जाये उस दर्द और वीभत्सता को बयां नहीं किया जा सकता है। जिक्र मात्र से भी इंसान को अपने आप से घिन्न आने लगती है। अब उसे सहानुभूति का स्पर्श भी झुलसाने वाला लगता है उसको एक हल्की सी आहट भी सहमा देती है। न जाने क्यों अब उसे सारी दुनिया पराई लगने लगती है।
बलात्कार पीड़िता कोई शब्द नहीं यह एक दरिंदगी को झेलकर दम घुटती जिंदगी का परिचय करवाता एक हाड़ मांस का पुतला भर होता है। अपने आप से भी घृणा करवाती जिंदगी का परिचायक होता है। वह हर किसी को शक नजरों से घूरती डरी सहमी जिंदा लाश ही होती है।
बलात्कार कहने को एक क्रूरता, बर्बरता, वहशीपन के साथ किया गया कुकृत्य भर नहीं है अपितु एक ऐसा जघन्य अपराध है जिसके आगे राक्षसी या दानवीय जंगलीपन भी शरमा जाता है। सभ्य समाज के परिवार के बीच बैठकर ऐसी किसी घटना के बारे में बात करना भी शर्मसार महसूस करवाता है। ऐसे में यह दुष्कर्म जिसके साथ होता है वह किन हालातों से गुजरती है सोचकर भी रूह कांप उठती है। ऊपर से नृशंस हत्या कर देना तो मानवीय संवेदनाओं को भी तार तार कर देता है। ऐसे समाज के इंसानों के बीच का हिस्सा होना भी हमको अब लज्जित महसूस करवाता है। जंगली जानवरों की निर्दयता भी हमें कम पीड़ा पहुंचाती है। पिछले कुछ समय पहले दिल्ली की बिटिया निर्भया नाम लेते ही आज भी कलेजा ही मुँह को आ जाता है। ऐसी घटनाओं की श्रृंखला बहुत ही लम्बी है जिसे याद करने पर रात रात भर नींद नहीं आती है।
हालफिलहाल की कलकत्ता की डॉ बिटिया के साथ जो बर्बरता, क्रूरता की गई उसने पूरे विश्व समाज को ही कलंकित कर दिया। हमारा यह सोचकर भी दिल दहल उठा कि वारदात देने वाले भी आज भी इसी पृथ्वी पर जिंदा घूम रहे हैं। ऐसे दरिंदों, राक्षसों का हर पल मौत से बढ़कर सजा मिले वो मौत मांगे और उनको फिर भी सजा के तौर घाव पर नमक लगा कर जिंदा रखा जाये।
वैसे इस वारदात के बाद की गई लापरवाही , लीपापोती और लेटलतीफी ने बहुत सारे प्रश्न खड़े कर दिये हैं ।
1. जो बहुत बड़े षड्यंत्र जिसमें अवैध रूप इंसानी अंगों के प्रत्यारोपण, नशे के काले कारोबार और तस्करी आदि की बू भी आ रही है। जिसकी जांच शायद हम तक ना आ पाये।
2. जिस तरह से इस वारदात को अंजाम दिया गया है वह किसी एक व्यक्ति के द्वारा की गई क्रूरता को नहीं दर्शाती यह सामूहिक रूप से किया गया जघन्य अपराध है।
3. माता पिता को करीब 3 घण्टे के इंतजार के बाद शव को दिखाया गया।
4. माता पिता से सर्वप्रथम खुदकुशी के बारे में झूठ बोलना और उसके उपरांत भी सत्य प्रकट ना करना।
5. पुलिस द्वारा सबूत के कलेक्शन यानि संग्रहण में देरी किया जाना।
6. प्रशासन द्वारा प्रिंसिपल को बेदखल करने के बावजूद कुछ दिन उपरांत अन्य जगह पोस्टिंग दे देना।
7. मैन इंचार्ज यानि प्रिंसिपल से पुलिस द्वारा कोई पूछताछ न करना।
8. घटनास्थल पर कुछ दिन बाद भीड़ द्वारा सोचा समझा गया हमला करना।
9. एक बहुत बड़ी भीड़ के एकत्रित होने की पुलिस द्वारा अनदेखी करना बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा करता है।
10. क्राइम स्पोर्ट की सुरक्षा में लापरवाही या फिर साजिश के तहत की गईं कार्यवाही।
उपरोक्त बिंदु में सरकार के लक्चर रवैये, पुलिस के मनमाने तरीके से जांच व हाई कोर्ट द्वारा कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी व फटकार के उपरांत सरकारी मशीनरी में हरकत होना। अपराधियों को मिल रहे राजनैतिक संरक्षण , भ्रष्टाचार के साथ अवैध कारोबार की तरफ इशारा ही नहीं करता अपितु संदेह के घेरे में खड़ा भी करता है।
इसी सरकार के कार्यकाल में पिछले दिनों पूरे गांव को ही बंधक बनाकर कई महीनों तक शारीरिक शोषण की घटनाओं व बलात्कारों को अंजाम दिया गया। आखिरकार हाई कोर्ट के दखल के बाद आरोपी को हिरासत में लिया गया। पिछले कुछ सालों की घटनाओं में राजनैतिक विरोधियों की हत्या , लूटपाट व पलायन जैसे मुद्ददे आम बने हुये हैं। क्योंकि वे घटनाएं किसी वर्ग विशेष से थीं तो राजनैतिक व समर्थक लोगों की बनी हुई उदासीनता सरकार को खुलेआम छूट का इशारा दे रहे हैं तो ऐसे में मनचलों से लेकर तस्करी करने वालों के हौंसलों को नई उड़ान मिली हुई है। माननीय हाई कोर्ट द्वारा कई बार सरकारी मशीनरी के फैल हो जाने की कठोर टिप्पणियां सुनने को भी मिली। पर इसे राजनैतिक स्टंटबाजी करार दे दिया गया । अब तो इस घटना को देखकर सरकार की नाकाम सुरक्षा व्यवस्था के साथ साथ राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं के द्वारा चलाये जा रहे माफिया, गुंडाराज को दर्शाता है।
अभी वहाँ की सरकार द्वारा न्याय के लिए निकाला गया खुद की सरकार के विरुद्ध पैदल मार्च बहुत ही हास्यास्पद और राजनैतिक स्टंटबाजी का सबसे निचला स्तर प्रदर्शित करता है। ऐसे गम्भीर मुद्दे को सजगता व सूझबूझ के साथ देखरेख करने की बजाय भटकाव को पैदा करते कृत्य राजनैतिक विफलता के परिचायक ही नहीं अपितु घोर षड्यंत्र की और इशारा भी करते हैं। सरकार येनकेन बस सत्ता में बने रहने के लिए हथकण्डे अजमाती दिख रही है।
“” जिस समाज में बलात्कारियों को सरंक्षण मिले उस परिवार / समाज को बहिष्कृत कर देना ही अच्छा और ऐसी सरकार को जड़ से उखाड़ फैंकना भविष्य की नजीर “‘
सबक आम जन के लिए
“” सरकार यानि प्रशासन द्वारा छोटी घटनाओं पर दिखाई गई तत्तपरता या अनदेखी बड़ी घटनाओं पर सूरतेहाल क्या होगा यह सोचा ही नहीं आसानी से समझा भी जा सकता है। “”
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रविन्द्र नाथ टैगोर , खुदी राम बोस, राजाराम मोहनराय जैसे महान हस्तियों की पवित्र भूमि अब
“” पश्चिमी बंगाल मतलब अराजकता, अलगाव व अपराधियों का गढ़ “” कही जाने लगी है
Bestiality Rape | Rape is an Atrocity
पाशविक प्रवृत्ति की पराकाष्ठा | बलात्कार एक क्रूरता
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
शिष्य – डॉ औतार लाल मीणा
विद्यार्थी – शोधार्थी, दर्शनशास्त्र विभाग 【 JNVU, Jodhpur 】
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों को जगत के केंद्र में रखते हुऐ शिक्षा, समानता व स्वावलंबन का प्रचार प्रसार में अपना योगदान देने का प्रयास।
बेबसाइट- www.realisticthinker.com
वर्तमान नृशंस घटना निस्संदेह समस्त समाज को कलंकित व शर्मसार करने वाली है ।मनोभावों के उद्वेलन को प्रकट करती अत्यंत सारगर्भित व सटीक टिप्पणी।
मेरी हार्दिक इच्छा है कि आप नियमित रूप से किसी समाचार पत्र/पत्रिका का हिस्सा बने और उसमें भी अपने विचारों का प्रकटीकरण करे ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग आपकी विचारधारा से अवगत हो ☺️