राजनैतिक सलाहकार बनाम ब्राह्मणवाद Vs बदजुबान धर्म निरपेक्ष राजनीतिज्ञ बनाम धार्मिक उन्मादी
Political Advisor | Brahminism Vs Scold Secular Politician | Religious Fanatic
“” सनातन संस्कृति में महामात्य बनाम राजनैतिक सलाहकार का मूल मंत्र एक ही रहा है।
“” शासन सुव्यवस्था का धर्म परायण रहना “” “”
Vs
“” वर्तमान परिवेश में बदजुबान धर्म निरपेक्ष राजनीतिज्ञ का भी एक ही मूल मंत्र है।
“” सत्ता हथियाने हेतु धार्मिक उन्माद को संरक्षण, संचालन व स्थायित्व देना “” “”
पहले शास्त्र व सस्त्र दोनों के ज्ञाता हमारे ऋषि थे। ब्रह्म ज्ञान के धनी भी हमारे ऋषि, मुनि ही थे। ऐसे में शासन के सुचारू संचालन में क्षत्रिय समाज इन्ही ऋषि मुनियों की शरणागति लेते थे। जिसके लिये वे अधिकारिक तौर पर उन्हें अमात्य या महामात्य या महामंत्री के रूप में भी सलाहकार नियुक्त करते थे।
कालांतर में पढ़ाने का भार भी ब्रह्म ऋषियों पर ही आ गया। जिससे शासन के साथ प्रशिक्षण पर उनका ही अधिपत्य रहा। जो आगे चलकर पूजा पद्धति , अस्त्र शस्त्र व शास्त्र शिक्षण व शासन व्यवस्था तीनों पर ब्रह्म ऋषियों का कब्जा रहा। जो कालान्तर में जाकर ब्राह्मणवाद का रूप लेता है।
आज वर्तमान परिपेक्ष्य में अतिमहत्वाकांक्षी, कुटिल व धूर्त राजनीतिज्ञ अपनी मर्यादा तोड़कर धर्म व संस्कृति की कुतर्क व्याख्या देने व धार्मिक गरिमा को ही तार तार करने में लगे हैं। उनका लक्ष्य केवल धार्मिक उन्माद फैलाकर निष्कंटक सत्तासीन बने रहना है।
कुछ लोग आजीविका हेतु राजनैतिक विचारधारा विरोध के चलते या कुछ निर्णय के विरुद्ध आक्रोश दिखाने या कुछ भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब आवाज मुखर करते हैं तो ऐसे में प्रशासनिक विफलता के विरुद्ध मिले जनादेश को कुटिल शीर्ष नेतृत्व राजनीतिज्ञ धार्मिक उन्माद को सही और तार्किक बताने में लगे रहते हैं। ऐसे में सामाजिक व्यवस्था को छिन्न भिन्न करना ही उनका प्रमुख लक्ष्य रहता है।
“” तो ऐसे में जरूरत है विद्वान धर्मपरायण सन्यासी, योगी व सज्जन युवक युवतियों को प्रसाशनिक व्यवस्था सौंपने की । जिससे सामाजिक न्याय हर प्राणी तक पहुंचाकर मानवीय मूल्यों द्वारा सुंदर, सुव्यवस्थित व सुदृढ़ समाज का पुनर्निर्माण किया जा सके। “‘
“” आज राजनीतिक जीवन में सेवा नहीं शासन, सत्ता व शक्तिसम्पन्न होने की चाह है,
सन्त व सज्जन प्राणी का सर्वसमाज का होता है उसकी चाह सर्वकल्याण ही रहती है। “”
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राजनैतिक सलाहकार बनाम ब्राह्मणवाद Vs बदजुबान धर्म निरपेक्ष राजनीतिज्ञ बनाम धार्मिक उन्मादी
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।