धर्म का एक गुण । धर्म का परिचय
A virtue of Religion | Region of Identity
“” A virtue even after the demerits in religion””
“” धर्म / पँथ में अनेकों अवगुणों के पश्चात भी एक गुण यह भी “”
“” जनसंख्या की छंटनी का एक आधार भी धर्म / पँथ ही तो है। “”
“” देश या क्षेत्र के वर्गीकरण का भी एक आधार धर्म / पँथ ही तो है। “”
“” यही नहीं सीमाओँ में बटे क्षेत्र या राष्ट्र के लोगों को एक सूत्र में पिरोने का नाम भी धर्म / पँथ ही तो है। “”
★★★ “” प्रचलित धर्म / पँथ को एक विचारधारा ही मान लिया जाये और कट्टरपंथ के चंगुल से मुक्त करवा लिया जाये तो यह मानवीय श्रेष्ठ कृति बन सकती है । “” ★★★
“” प्रचलित धर्म / पँथ में मूल तत्व ईश्वर के अलौकिक, अद्वितीय व अकल्पनीय शक्ति का स्वामी होने से बुराई नहीं अपितु उसको मुक्ति , वैभव व ऐश्वर्य प्रदाता के साथ सृष्टि के कार्य संचालन, नियंत्रण व निर्धारण के स्वामी दर्शाने से भी है। “”
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धर्म का एक गुण । धर्म का परिचय
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
अतिसुन्दर 🙏🙏
कर्म अच्छे हो तो वही धर्म बन जाता है।।
धर्म मे जब तक पाप धोने की व्यवस्था है, तब तक लोग पाप करते रहेंगे ।