आलोचना का अर्थ | आलोचना की परिभाषा
Definition of Criticism | Meaning of Criticism | Alochana Ki Paribhasha
| आलोचना |
“” किसी के विचारों में सार्थकता हेतु की गई टिका टिप्पणी ही आलोचना है। “”
“” गुण दोषों के विस्तृत कर बेहतर की उम्मीद हेतु की तार्किक आक्षेप ही आलोचना है। “”
साधारणतया –
अ = अस्वीकृति
लोचना = प्रकाशित करना
“” अस्वीकृति को प्रकाशित करने में अपने द्वारा दिये गये वाजिब तर्क ही आलोचना है। “”
वैसे “” अ “” से 【 आपत्ति 】
“” ल “” से 【 लिपिबद्ध 】
“” च “” से 【 चिंतनशील 】
“” न “” से 【 नियमानुसार 】
“” वैसे आपत्तियों का लिपिबद्ध चिंतनशील, नियमानुसार रहना ही आलोचना है। “”
“” श्रेष्ठ विकल्पों पर ध्यान आकर्षित करने हेतु किया गया व्यवहारिक दोषारोपण भी आलोचना ही है। “”
“” विचारशक्ति की सिद्धि हेतु विषय विशेष के आंकलन में किया गया अकाट्य प्रमाण के साथ प्रतिरोधात्मक रवैया भी आलोचना ही है। “”
“” किसी विषय पर किये गये अनुसंधान पर वैधानिक विरोधात्मक प्रतिक्रिया ही आलोचना है। “”
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आलोचना का अर्थ | आलोचना की परिभाषा
मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।
“Criticism is the cornerstone of improvement and the foundation of learning.”
Mahesh Soni